Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia

आज के शुभ मुहूर्त

(द्वितीया तिथि)
  • तिथि- मार्गशीर्ष कृष्ण द्वितीया
  • शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
  • व्रत/मुहूर्त-सौर मार्गशीर्ष प्रा., रोहिणी व्रत
  • राहुकाल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
webdunia
Advertiesment

धूमधाम से मना अमीर खुसरो का उर्स

706वें उर्स में कव्वालियों ने बाँधा समाँ

हमें फॉलो करें धूमधाम से मना अमीर खुसरो का उर्स
- प्रदीप शर्मा खुसर
ND

हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक अमीर खुसरो का 706वाँ उर्स पिछले दिनों दिल्ली में मनाया गया। इस मौके पर कव्वालियों ने संगीतप्रेमियों का मन मोह लिया। अमीर खुसरो चिश्तिया सूफी सिलसिले के विश्व प्रसिद्ध सूफी शायर, लेखक, साहित्याकर, कहानी कार, इतिहासकार, दार्शनिक, खगोलशास्त्री, ज्योतिषी, पत्रकार, बहुभाषी शब्दकोषकार भाषाविद, संगीतशास्त्री, गायक, वादक, नर्तक, हकीम और शूरवीर योद्धा थे। वह जंग के मैदान में एक हाथ में तलवार दूसरे हाथ में किताब लिए जाते थे।

अमीर खुसरो के पिता अमीर सैफुद्दीन तुर्किस्तान के मुसलमान थे और दिल्ली के सुलतान शमशुद्दीन अल्मश के दरबार में फौजी सिपहसालार थे। उनकी माँ दौलत नाज दिल्ली के एक हिंदू राजपूत परिवार से थीं। इसलिए अमीर खुसरो को बचपन से ही जहाँ संस्कृत भाषा के गहन अध्ययन के साथ हिंदुओं के वेदों पुराणों उपनिषदों, दर्शन शास्त्र, गीता, रामायण आदि को समझने का मौका मिला तो दूसरी ओर उनको अरबी, फारसी, व तुर्की भाषाओं की तालीम के साथ मुसलमानों के कुरान शरीफ, हदीसों अकीदों आदि को पढ़ने का अवसर मिला।

वह कई जबानों के ज्ञाता थे। आज की आधुनिक खड़ी बोली हिंदी के सर्वप्रथम कवि और साहित्यकार हैं जिसका उन्हों हिन्दवी नाम दिया। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के एटा जिले के पटियाली नाम गाँव में गंगा किनारे सन 1325 ईसवीं में हुआ था।

अमीर खुसरो सत्य के खोज में केवल बुद्धि को अधिक महत्व नहीं देते हैं उनके विचार में बुद्धि कोई बड़ी शक्ति नहीं है। इसलिए उसके बंधन में पड़ा रहना बड़ी मूर्खता है। वे बुद्धि से बड़ा प्रेम और भक्ति को मानते हैं। अपने हिन्दवी ग्रंथ तराना व कलाम ऐ हिन्दवी में खुसरो ने प्रेम की गहराई पर कई दोहे लिखे हैं।

webdunia
ND
खड़ी बोली में लिखे एक दोहे में वह कहते हैं 'खुसरो दरिया प्रेम का, उलटी वाकी धार। जो उबरा सो डूब गया, जो डूबा सो पार' अर्थात् ऐ खुसरो प्रेम या मुहब्बत का दरिया तो पानी के दरिया के मुकाबले उलटा बहता है। प्रेम के दरिया में में जो व्यक्ति केवल उतर पाता है, तो वह डूब जाता है। यानी जो बाहरी प्रेम कर पाता है, उसकी जिंदगी व्यर्थ चली जाती है। इसके विपरीत जो व्यक्ति प्रेम के दरिया में डूब जाता है, उसकी जिंदगी पार हो जाती है। अर्थात जो गहराई से प्रेम में डूब जाता है, वह अपने महबूब यानी ईशवर को प्राप्त कर लेता है।

प्रेम किस प्रकार किया जाना चाहिए इस बारे में खुसरो कहते हैं, 'खुसरो ऐसी प्रीत कर, जैसे लोटा डोर। अपना गला फँसाकर पानी लावे बोर।' अर्थात् ऐ खुसरो ऐसी मोहब्बत कर जैसे की लोटा (डोल) और रस्सी में होती है। डोल अपने गले में रस्सी फँसाता है, तब कहीं जाकर कुँए की गहराई में जाकर पानी निकाल पाता है। यानी डोल अपने गले को तकलीफ देकर, दूसरों के काम आती है।

एक अन्य दोहे में खुसरो फरमाते हैं, 'खुसरो ऐसी भक्ति कर, जान सके न कोय। जैसे मेंहदी पात में रंग रही दबकोय।' अर्थात् ऐ खुसरो इस तरह इबादत कर अर्थात परमात्मा की भक्ति कर की उसकी जानकारी किसी को न हो। यानी ईश्वर की भक्ति के लिए किसी दिखावे की कोई जरूरत नहीं है।

आज के भौतिक युग में जीवन के किसी भी क्षेत्र चाहे वह पढ़ाई हो खेल कूद या नौकरी हो, कोई भी व्यक्ति हारना नहीं चाहता मगर इसके विपरीत प्रेम या इश्क के मैदान में अमीर खुसरो को जीतना और हारना, दोनों मंजूर हैं। प्रियतम की जीत में भी मेरे जीत है और हार में भी मेरी हार। बाजी तो मेरे ही हाथ मे रहेगी। असल प्रेम यही होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi