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दार्जीलिंग नहीं था बंगाल का हिस्सा

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कोलकाता , शनिवार, 17 अगस्त 2013 (18:13 IST)
कोलकाता। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के प्रमुख बिमल गुरंग ने शनिवार को कहा कि ऐतिहासिक रूप से दार्जीलिंग कभी भी बंगाल का हिस्सा नहीं रहा। उन्होंने कहा कि जो लोग गोरखालैंड आंदोलन के खिलाफ हैं या जो गोरखों को ‘विदेशी’ कह रहे हैं वे दरअसल राज्य के आंदोलन को मजबूत ही कर रहे हैं।

गुरंग ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि गोरखालैंड का निर्माण बंगाल का विभाजन नहीं है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से दार्जीलिंग कभी भी बंगाल का हिस्सा नहीं रहा। इसे ब्रितानियों ने सिक्किम राज्य से वर्ष 1835 में पट्टे पर लिया था।

उन्होंने कहा कि दार्जीलिंग जिले में पड़ने वाले कालिमपोंग और जलपाईगुड़ी जिले के दूआर्स वर्ष 1865 में भूटान से अपने अधिकार में ले लिए गए थे। इन बातों के जरिए गुरंग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस दावे पर निशाना साध रहे थे जिसमें बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का कोई विभाजन न करने की बात कही थी।

उन्होंने कहा कि गोरखालैंड के विरोधियों द्वारा ‘विदेशी’ होने का आरोप हमारे अलग राज्य के आंदोलन को मजबूती ही देता है। हमारा हालिया आंदोलन हमारे नारे ‘जय हिंद, जय गोरखा’ के साथ भारत के प्रति हमारी देशभक्ति की पुष्टि करता है।

अलग गोरखालैंड की मांग के लिए शुक्रवार को बनाई गई एक नई समिति ने 19 अगस्त से एक नए आंदोलन का आह्वान किया है। इस बार आंदोलन का नाम ‘जनता कर्फ्यू’ से बदलकर ‘घर बितराई जनता’ (घरों के भीतर लोग) रखा गया है। इस समिति में जीजेएम और गोरखालैंड के समर्थन वाले अन्य संगठन शामिल हैं। (भाषा)

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