Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इस गुफा से शुरू होता है स्वर्ग का मार्ग...

हमें फॉलो करें इस गुफा से शुरू होता है स्वर्ग का मार्ग...
उत्तराखंड के जिला पिथौरागढ़ मे स्थित पाताल भुवनेश्वर धरती पर एक जगह ऐसी जगह है जहां पूरी सृष्टि के दर्शन होते हैं। सृष्टि की रचना से लेकर कलयुग का अंत कब और कैसे होगा इसका पूरा वर्णन भी यहां पर है।
ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहां पर चारों धामों के दर्शन एक साथ होते हैं। शिवजी की जटाओं से बहती गंगा की धारा यहां नजर आती है तो अमृतकुंड के दर्शन भी यहां पर होते हैं। ऐरावत हाथी भी आपको यहां दिखाई देगा और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वर्ग का मार्ग भी यहां से शुरू होता है।
webdunia
मान्यताओं के अनुसार इस पृथ्वी को शेषनाग ने अपने फन पर उठा रखा है, लेकिन वो शेषनाग है कहां? इसके जवाब में इसका उत्तर समुद्र सुनने को मिलता है। लेकिन यहां आपको शेषनाग के दर्शन भी होते हैं और यहां पर शेषनाग अपने फन पर पृथ्वी को धारण किए दिखाई देते हैं। 

ये सब सुनने में किसी कहानी की तरह लगते हैं, लेकिन धर्म में अगर आपकी जरा सी भी आस्था है तो इस स्थान पर पहुंचने के बाद आप इन चीजों पर यकीन करने से खुद को चाहकर भी नहीं रोक सकते। इस स्थान पर ऊपर वर्णित आकृतियां भले ही निर्जीव हो लेकिन वास्तव में ये इतनी सजीव लगती हैं कि आप इन्हें चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकते।
webdunia
पाताल भुवनेश्वर दरअसल एक प्राचीन और रहस्यमयी गुफा है जो अपने आप में एक रहस्यमयी दुनिया को समेटे हुए है। गुफा के अंदर कैमरा और मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है। लिहाजा अपने सामान के साथ ही कैमरा और मोबाइल फोन जमा करने के बाद गाइड के साथ गुफा में प्रवेश कर सकते हैं।
webdunia
ये गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फिट अंदर है। 90 फुट नीचे गुफा में उतरने के लिए चट्टानों के बीच संकरे टेढ़ी-मेढ़े रास्ते से ढलान पर उतरना पड़ता है। देखने पर गुफा में उतरना नामुमकिन सा लगता है, लेकिन गुफा में उतरने पर शरीर खुद ब खुद गुफा के संकरे रास्ते में अपने लिए जगह बना लेता है।
 

गुफा में पहुंचने पर एक अलग ही अनुभूति होती है। जैसे कि आप किसी काल्पनिक लोक में पहुंच गए हों। गुफा में उतरते ही सबसे पहले गुफा के बाईं तरफ शेषनाग की एक विशाल आकृति दिखाई देती है जिसके ऊपर विशालकाय अर्धगोलाकार चट्टान है, जिसके बारे में कहा जाता है कि शेषनाग ने इसी स्थान पर पृथ्वी को अपने फन पर धारण किया है।
webdunia
यहां शेषनाग का शरीर है जिसकी आकृति सर्प की तरह है। कुछ आगे बढ़ने पर आदि गणेश के दर्शन होते हैं जिस पर ब्रह्म कमल से अमृत की बूंदे गिरती दिखाई देती हैं। यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ धाम के दर्शन होते हैं तो कालभैरव भी यहीं पर विराजमान हैं।
 
पाताल भुवनेश्वर गुफा का विस्तृत वर्णन स्कन्द पुराण के मानस खंड के 103 अध्याय में मिलता है। पाताल भुवनेश्वर अपने आप में एक दैवीय संसार को समेटे हुए है। (news18 से)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi