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लखनऊ रेप कांड : पुलिस अपने दावे पर कायम

पुलिस का दावा आरोपी का डीएनए से हुआ मिलान

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लखनऊ , मंगलवार, 22 जुलाई 2014 (22:25 IST)
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लखनऊ। मोहनलालगंज कांड के खुलासे को लेकर सवालों और आलोचनाओं से घिरी लखनऊ पुलिस ने मंगलवार को दावा किया कि वारदात की शिकार हुई महिला के नाखूनों में पाई गई सामग्री की फोरेंसिक जांच में उसके डीएनए का मिलान इस मामले के आरोपी रामसेवक के डीएनए से हो गया है।

लखनऊ के पुलिस उपमहानिरीक्षक नवनीत सिकेरा ने बताया कि मोहनलालगंज में हाल में निहायत क्रूर तरीके से महिला की हत्या किए जाने के मामले में मकतूला के नाखूनों में फंसी सामग्री का डीएनए अभियुक्त के डीएनए से मेल खाता है। राज्य फोरेंसिक प्रयोगशाला में की गई जांच में इसकी पुष्टि हुई है। लिहाजा अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि इस वारदात को रामसेवक ने ही अंजाम दिया है।

उन्होंने बताया कि रामसेवक के शरीर पर नाखून से खरोंचे जाने समेत नौ निशान मिले हैं। उनमें बाहों के नीचे नाखून से खरोंचने के निशान भी शामिल हैं जो तीन-चार दिन ही पुराने हैं। वे किसी महिला द्वारा एक विशेष स्थिति में संघर्ष की हालत में ही बन सकते हैं।

महिला द्वारा अपना एक गुर्दा अपने पति को दान किए जाने के बावजूद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके दोनों गुर्दे सुरक्षित होने की बात सामने आने को जांच का विषय बताते हुए सिकेरा ने कहा कि अपर पुलिस महानिदेशक सुतापा सान्याल ने उन्हें इसकी जांच सौंपी है और उन्होंने लखनऊ स्थित संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) से गुर्दा दान और उसके प्रतिरोपण से सम्बन्धी सम्पूर्ण विवरण मांगा है।

पुलिस अफसर ने बताया कि इस वीभत्स घटना का खुलासा करना बहुत बड़ी चुनौती थी। तफ्तीश के दौरान उभरी तस्वीर भी बेहद जटिल थी, सम्भवत: इसलिए पुलिस उसके बारे में मीडिया को ठीक से नहीं बता सकी। पुलिस इस मामले में किसी का बेजा बचाव नहीं कर रही है और न ही जानबूझकर कुछ छुपा रही है।

सिकेरा हालांकि हत्या के कारण के बारे में कुछ भी नहीं बता सके। गौरतलब है कि गत 17 जुलाई को मोहनलालगंज क्षेत्र के बलसिंह खेड़ा में एक स्कूल के पास एक महिला का निर्वस्त्र शव बरामद किया गया था। घटनास्थल पर पड़े खून और मौका-ए-वारदात के हालात को देखकर माना जा रहा था कि इस वारदात में एक से ज्यादा लोग शामिल थे।

लखनऊ पुलिस द्वारा इस मामले के खुलासे को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं । निवर्तमान राज्यपाल अजीज कुरैशी ने भी पुलिस के खुलासे के प्रति असंतुष्टि जाहिर की थी।

सिकेरा ने बताया कि रामसेवक ने वारदात की शिकार हुई महिला को आखिरी बार जिस सिमकार्ड से फोन किया वह अजीज नामक व्यक्ति का था जिसका फोन 10 दिन पहले खो गया था। रामसेवक ने पकड़े जाने के डर से वह सिम कीचड़ और बारिश के पानी से भरे एक गड्ढे में फेंक दिया था जिसे तलाशने की कोशिश की जा रही है।

सिकेरा ने बताया कि महिला ने राजू नामक व्यक्ति समझकर रामसेवक से बात की थी और यह सिलसिला घटना के दिन को मिलाकर तीन दिन तक चला था। वह महिला 16 जुलाई की रात को राजू के धोखे में रामसेवक से बात करके रात करीब 10 बजकर 22 मिनट पर घर से निकली थी। महिला ने फार्म हाउस पर उतरते ही रामसेवक को पहचान लिया। इस दौरान दोनों के बीच कहासुनी और गुत्थमगुत्था हुई।

उन्होंने दावा किया कि रामसेवक ने अंगुली में अपनी मोटरसाइकल की चाबी फंसाकर महिला के चेहरे पर जोरदार मुक्का मारा था जिससे उसे गहरी चोट आई। इसके अलावा उसके नाजुक अंग में गहरी चोट के कारण अत्यधिक खून बहने से उसकी मृत्यु हो गई।

घटनाक्रम में राजू नामक व्यक्ति की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सिकेरा ने कहा कि उसके बारे में तथ्य जुटाने की कोशिश की जा रही है। (भाषा)

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