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शौचालय नहीं होने से विवाहिताओं ने छोड़ी ससुराल

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लखनऊ , रविवार, 17 अगस्त 2014 (19:01 IST)
लखनऊ। देश में शौचालयों की कमी को लेकर जारी चर्चा के बीच उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में 6 नवविवाहिताओं ने घर में शौचालय नहीं होने के विरोध में अपनी ससुराल छोड़ दी।

सूत्रों के मुताबिक हिन्दू और मुस्लिम समुदायों से ताल्लुक रखने वाली इन नववधुओं ने खेसिया गांव में अपने ससुराल में शौचालय नहीं होने के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 2 महीने पहले पति का घर छोड़कर मायके आ गई हैं। वे इस बात पर अड़ी हैं कि जब तक शौचालय नहीं बनेगा, वे ससुराल नहीं जाएंगी।

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता आशा परवीन के मुताबिक बगावत करने वाली इन महिलाओं में नीलम, कलावती, सकीना, निरंजन, गुड़िया और सीता शामिल हैं।

देश के एक ही गांव में ऐसे सामूहिक साहस की मिसाल देखकर ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक ने इन सभी 6 महिलाओं की ससुराल में शौचालय बनवाने की घोषणा की है।

पाठक ने इन विवाहिताओं के विद्रोह को बहुत साहसपूर्ण तथा असाधारण करार देते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि घर में शौचालयों की जरूरत को लेकर महिलाओं की सोच में बदलाव आ रहा है। अब हर कोई शौचालयों के महत्व को समझ रहा है।

उन्होंने कहा कि सुलभ इंटरनेशनल इन महिलाओं को उनके साहस के लिए सम्मानित करेगा। इससे पहले महराजगंज जिले की प्रियंका भारती को अपने ससुराल में शौचालय नहीं होने के खिलाफ विद्रोह करने पर सम्मानित किया गया था।

पाठक ने कहा कि खासकर ग्रामीण इलाकों में घर में शौचालय नहीं होने से महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें शौच के लिए जाने के वास्ते अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है।

यह विडंबना ही है कि देश में शौचालयों से ज्यादा मोबाइल फोन हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से किए गए भाषण में शौचालयों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाए जाने की सराहना की।

पाठक ने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण में शौचालयों के मुद्दे को उठाया है। मुझे विश्वास है कि अब देश में शौचालयों की भारी कमी दूर होगी और महिलाओं के मान-सम्मान की रक्षा हो सकेगी। (भाषा)

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