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वरिष्ठ फिल्म समीक्षक श्रीराम ताम्रकर का निधन

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इंदौर। वरिष्ठ फिल्म समीक्षक श्रीराम ताम्रकर का शनिवार रात निधन हो गया। आप पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।  ताम्रकर की अंतिम इच्छानुसार उनके नेत्रदान कर दिए गए ताकि उनकी आंखें फिल्म देखती रहे।

9 नवंबर 1938 को जन्मे ताम्रकर की कलम से लगभग 50 किताबें निकलीं। उन्होंने हिन्दी फिल्मों के ज्ञान कोश की पाण्डुलिपि कुछ ही दिन पहले तैयार की थी। वह अपनी इस महत्वाकांक्षी पुस्तक पर कई वर्षों से काम कर रहे थे।
 
ताम्रकर ने गुजरे 50 वर्षों में अलग-अलग अखबारों और पत्रिकाओं में फिल्मी विषयों पर लगातार स्तंभ लेखन और संपादन किया। वह इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में पिछले दो दशक से सिनेमा विषय पढ़ा रहे थे। 
 
ताम्रकर अपने प्रशंसकों के बीच ‘फिल्म जगत के इनसाइक्लोपीडिया’ के रूप में मशहूर थे। उन्हें मुंबई की दादा साहेब फालके अकादमी का ‘वरिष्ठ फिल्म पत्रकार सम्मान’ (2010) और मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से ‘सर्वश्रेष्ठ फिल्म आलोचक’ सम्मान (1992) समेत कई अलंकरणों से नवाजा गया था। 
 
ताम्रकर प्रदेश के आदिम जनजाति प्रथम अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के जूरी तथा लता मंगेशकर अलंकरण समिति के बरसों तक सदस्य भी रहे हैं। 
 
अंतिम संस्कार जूनी इंदौर मुक्तिधाम पर उनका किया गया, जहां वरिष्ठ पत्रकार कीर्ति राणा, प्रभु जोशी, तपन भट्‍टाचार्य, सरोज कुमार, कृष्ण कुमार अष्ठाना तथा वेबदुनिया डॉट कॉम के संपादक जयदीप कर्णिक समेत कई गणमान्य नागरिकों व फिल्म समीक्षकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
 
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वरिष्ठ पत्रकार, फिल्म समीक्षक श्रीराम ताम्रकर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा क़ि स्वर्गीय श्री ताम्रकर ने मध्यप्रदेश में फ़िल्म पत्रकारिता की परम्परा शुरू क़ी। उन्होंने प्रदेश में हिन्दी पत्रकारिता को फिल्म कला की समालोचना की नई विधा से परिचित करवाया। उनके निधन से प्रदेश ने एक मूर्धन्य पत्रकार एवं फिल्म इतिहास लेखक खो दिया है।
 
मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजन को यह दुःख सहने की शक्ति देने की ईश्वर से प्रार्थना की है।

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