Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सोचा नहीं था जख्मी होकर लौटूँगा

हमें फॉलो करें सोचा नहीं था जख्मी होकर लौटूँगा
मुंबई , शनिवार, 29 नवंबर 2008 (11:51 IST)
आतंकियों द्वारा ताज होटल और लिओपार्ड कैफे में की गई गोलीबारी से कई लोग जख्मी हैं। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी भी शामिल हैं। बॉम्बे अस्पताल में स्पेन, ऑस्ट्रेलिया, ग्रेट ब्रिटेन, जापान, जॉर्डन आदि कुछ देशों के जख्मियों को भर्ती किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि अस्पताल में 20 विदेशी और 40 भारतीय भर्ती हैं। इन विदेशियों के काउंसलेट के उच्चाधिकारी उन्हें मिलने आ रहे हैं और उन्हें वापस भेजने की कार्रवाई कर रहे हैं। एक जापानी नागरिक की भी मौत हो गई है।

अस्पताल में एक विदेशी ने अपना नाम और राष्ट्रीयता बताने से इनकार करते हुए कहा कि वह मुंबई छोड़कर जल्द ही अपने देश जाना चाहता है। मुंबई घूमने आने का सपना एक दुःस्वप्न में बदल जाएगा यह मैंने सोचा भी नहीं था।

मैं अपने एक दोस्त के साथ यहाँ घूमने आया था और जख्मी होकर देश वापस जा रहा हूँ। ब्रिटिश हाई कमिश्नर रिचर्ड स्टैग अपने अफसरों के साथ अस्पताल में अपने देश के नागरिकों से मिलने आए थे।

उन्होंने बताया 7 ब्रिटिशर घायल हैं। लियोपार्ड कैफे की फायरिंग में जख्मी हुई ब्रिटिश नागरिक वेरोनिका मर्फी ने बताया मैं बहुत खुशनसीब हूँ कि मैं बच गई। जहाँ फायरिंग हो रही थी, वहाँ से मैं सिर्फ 100 मीटर दूरी पर थी।

महिला पत्रकारों से बदतमीजी : बुधवार रात से लेकर शुक्रवार की दोपहर तक होटल के बाहर देशी-विदेशी चैनल और प्रिंट मीडिया की कुछ महिला पत्रकार खबर लेने के लिए उपस्थित थीं। जब कोई बयान देने आता तो उसकी बात सुनने के लिए महिला पत्रकार आगे आ जाती थीं।

वहाँ नजारा देखने आए तमाशबीन भी तुरंत आगे आ जाते थे और महिला पत्रकारों से चिपककर खड़े हो जाते थे। महिला पत्रकार द्वारा आपत्ति जताने पर ऐसी हरकतें करने वाले युवाओं को पत्रकारों ने पीछे भी धकेला।

एक महिला पत्रकार की बैकपैक का जिप भी किसी ने खोलकर चोरी करने की कोशिश की, लेकिन तुरंत ही उस पत्रकार को महसूस हुआ तो उसने पीछे मुड़कर देखा तब एक युवक वहाँ से भाग गया।

स्वयंसेवी संस्थाओं ने पहुँचाया खाना : बुधवार रात से ट्राइडेंट के बाहर तैनात पुलिस, एसआरपीएफ, रैपिड एक्शन फोर्स के साथ गुरुवार को होटल में पहुँचे राजपूताना राइफल्स के जवानों के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा खाना और पीने के पानी की व्यवस्था की गई थी। मीडिया के लिए भी यह संस्थाएँ पानी और जिसे खाना चाहिए, उसे खाना भी दे रही थीं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi