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अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन खत्म, कलिखो पुल बने नए मुख्यमंत्री

हमें फॉलो करें अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन खत्म, कलिखो पुल बने नए मुख्यमंत्री
नई दिल्ली , शनिवार, 20 फ़रवरी 2016 (00:09 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय की ओर से नई सरकार के गठन का रास्ता साफ किए जाने के बाद अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति हटा लिया गया और अब कलिखो पुल अरुणाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से अरुणाचल प्रदेश में सरकार गठन की मंजूरी के बाद शुक्रवार को कांग्रेस के बागी विधायक कलिखो पुल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। कलिखो पुल को राज्यपाल जेपी राजखोवा ने पद और गोपनियता की शपथ दिलाई।  
बीते करीब एक महीने से राज्य में सियासी अस्थिरता का माहौल था। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में यथास्थिति का फैसला वापस ले लिया था जबकि इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अरूणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की केद्रीय मंत्रिमंडल की अनुशंसा को स्वीकृत प्रदान कर दी।
 
कांग्रेस नेता और हटाए गए मुख्यमंत्री नबाम तुकी को आखिरी झटका उच्चतम न्यायालय से मिला था। तुकी विधानसभा में बहुमत साबित करने करने का मौका पाना चाह रहे थे लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम निर्देश के उनके आग्रह को ठुकरा दिया। कैबिनेट ने बीते बुधवार को अरुणाचल प्रदेश से राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की थी।
 
इससे पहले कांग्रेस के बागी विधायकों एवं भाजपा और निर्दलीय विधायकों सहित 31 सदस्यों ने राज्यपाल जेपी राजखोवा से मुलाकात कर नयी सरकार के गठन का दावा किया था। पुल के नेतृत्व में कांग्रेस के बागियों की बगावत के बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया था जिसके बाद 26 जनवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। खबर है कि तुकी को 60 सदस्यीय विधानसभा में 26 विधायकों का समर्थन हासिल है।
 
पहले अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस के 47 सदस्य थे, लेकिन 21 सदस्यों ने तुकी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी और राज्य में राजनीति संकट खड़ा हो गया। भाजपा के 11 विधायकों और दो निर्दलीय विधायकों ने नयी सरकार के गठन के प्रयास में बागियों का समर्थन किया था। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया। उच्चतम न्यायालय अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार कर रहा था।
 
केंद्र ने जब राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा की तो कांग्रेस ने सर्वोच्च अदालत का रूख किया और 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने से संबंधित न्यायिक एवं विधायी रिकॉर्ड की छानबीन किए जाने तक राज्य में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश आया था। 
 
बहरहाल, कल न्यायालय ने सरकार बनाने का रास्ता वस्तुत: साफ करते हुए यथास्थिति बनाए रखने के अपने आदेश को हटा दिया क्योंकि उसने 14 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने पर रोक लगाने के गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश पर संतुष्टि जताई।
 
कांग्रेस ने आज फिर उच्चतम न्यायालय का रूख किया लेकिन देश की शीर्ष अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी। पार्टी ने विधानसभा के पटल पर बहुमत साबित करने की अनुमति दिए जाने को लेकर अंतरिम आदेश की मांग की थी। (भाषा) 

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