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दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल विधेयक पेश

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, सोमवार, 30 नवंबर 2015 (23:03 IST)
नई दिल्ली। भ्रष्टाचार से कारगर ढंग से निपटने के लिए दिल्ली विधानसभा में सोमवार को जनलोकपाल विधेयक 2015 पेश किया गया जिसके कानून बन जाने पर दोषी को अधिकतम आजीवन कारावास और नुकसान के 5 गुना तक भरपाई करने का प्रावधान होगा।
विपक्ष की गैरमौजूदगी और सत्तापक्ष के 'भारतमाता की जय', 'वंदे मातरम' तथा 'इंकलाब जिंदाबाद' के नारों के बीच उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने विधेयक पेश करते हुए इसे ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए अपने पहले के वादों पर प्रतिबद्ध है।
 
विधेयक को लेकर उठाई गई आशंकाओं को निराधार बताते हुए सिसौदिया ने इसे भारत के भविष्य की उम्मीदों का और दिल्ली को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने वाला बताया। 
 
विधेयक की जानकारी देते हुए सिसौदिया ने कहा कि 2011 में जंतर-मंतर से निकली चिंगारी में भ्रष्टाचार के खिलाफ अलख जगाने का काम किया और मैं पूरी दिल्ली की जनता को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सरकार भ्रष्टाचार से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी।
 
कानून बन जाने पर यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी भी भ्रष्टाचार की जांच और कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा। इसमें जितने ऊंचे पद पर बैठकर भ्रष्टाचार किया जाएगा, दोषी पाए जाने पर उतनी अधिक सजा का प्रावधान किया गया है। 
 
सामान्य मामलों में 6 माह से 10 साल तक और विशेष में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है। भ्रष्टाचार की वजह से सरकार और जनता को जितना नुकसान होगा, उसका 5 गुना तक राशि जुर्माने के रूप में वसूल की जाएगी।
 
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले को सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ प्रशासनिक प्रताड़ना से बचाने और सूचना देने वाले की पहचान छिपाने का प्रावधान भी इसमें किया गया है। झूठी शिकायत करने पर भी सजा का प्रावधान होगा। 
 
सिसौदिया ने कहा कि विधानसभा के मौजूदा सत्र में नागरिक संहिता विधेयक प्रस्तुत करने के बाद वे दूसरा महत्वपूर्ण विधेयक पेश कर रहे हैं और इसे लेकर अपने आपको बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। 
 
लोकपाल स्वतंत्र निकाय होगा और जनता से शिकायत मिलने पर जांच के अलावा इसे स्वत: संज्ञान लेने की भी आजादी होगी और सरकार भी इससे जांच की सिफारिश कर सकेगी।
 
जनलोकपाल किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच कर सकेगा और जांच 6 माह में पूरी करनी होगी। विशेष मामलों में इसकी अवधि 12 माह से अधिक नहीं होगी। लोकपाल को मुकदमा चलाने की भी स्वतंत्रता होगी और मंजूरी के बाद मुकदमे की कार्रवाई 6 माह के भीतर पूरी करनी होगी। 
 
गलत तरीके से कमाई संपत्ति को जब्त करने, अधिकारी के तबादले के अलावा लोकपाल समय-समय पर समीक्षा करेगा और मामलों की संख्या के आधार पर अदालतें बनाने की इसे पूरी छूट होगी।
 
लोकपाल के चयन के लिए विपक्ष और आम आदमी पार्टी से जुड़े रहे प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव के विरोध का जवाब देते हुए सिसौदिया ने कहा कि इसमें पूरी पारदर्शिता और स्वतंत्र तरीका अपनाया गया है। 
 
लोकपाल 3 सदस्यीय होगा जिसमें 1 अध्यक्ष और 2 सदस्य के रूप में होंगे। इनका चयन 4 सदस्यीय समिति करेगी जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता शामिल होंगे। 
 
सिसौदिया ने कहा कि चयन प्रक्रिया को कतई भी कमजोर नहीं किया गया है और जो प्रक्रिया अपनाई गई है उससे अधिक स्वतंत्र और जिम्मेवार समिति क्या हो सकती है। 
 
चयन प्रक्रिया में 2 और प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किए जाने की मांग पर सिसौदिया ने कहा कि इससे प्रक्रिया के प्रभावित होने की गुंजाइश बनी रहती।
 
उन्होंने कहा कि लोकपाल नियुक्त करने की प्रक्रिया को जितना निष्पक्ष बनाया गया है, उसे हटाने की प्रक्रिया भी उतनी ही जटिल है। जिस तरह जज को हटाने के लिए महाभियोग चलाया जाता है उसी तरह लोकपाल को हटाने के लिए भी महाभियोग चलाना होगा।
 
मौजूदा जनलोकपाल विधेयक को लेकर भूषण और योगेन्द्र यादव की अगुआई में स्वराज अभियान के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में दिल्ली विधानसभा पर प्रदर्शन किया। पुलिस ने बड़ी संख्या में अभियान के कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया।
 
यादव ने मौजूदा जनलोकपाल विधेयक के खिलाफ अपनी लड़ाई को सांकेतिक बताते हुए कहा कि वास्तविक कानून के लिए लंबी लड़ाई लड़नी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले विधेयक की तुलना में मौजूदा विधेयक पूरी तरह बदल चुका है। 
 
उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार का भांडा फूट चुका है। जिस सपने का जन्म रामलीला मैदान से हुआ था उसकी विधानसभा में हत्या की गई है। लोगों की उम्मीदों के साथ धोखा किया गया है और असली जनलोकपाल हासिल करने तक लड़ाई जारी रखी जाएगी। (वार्ता) 

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