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मप्र के मंडला में 6 आरोपियों को फांसी की सजा

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मंडला (मध्यप्रदेश) , शुक्रवार, 30 जनवरी 2015 (19:47 IST)
मंडला (मध्यप्रदेश)। एक स्थानीय अदालत ने पिछले साल 25-26 अगस्त की दरमियानी रात एक व्यक्ति की हत्या करने और शव के साथ क्रूरता करने के अपराध में तीन महिलाओं सहित छह लोगों को फांसी की सजा दी है।
अतिरिक्त लोक अभियोजक देवाशीष झा ने बताया कि निवास के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वी. के. पाण्डेय ने छह आरोपियों की दोषसिद्धी के बाद 28 जनवरी को सभी को मौत की सजा सुनाते हुए इस मामले को ‘दुर्लभ से दुलर्भतम’ बताया। 
 
उन्होंने कहा, ‘अपराध करने में की गई क्रूरता, उसका प्रकार और मृतक का निसहाय एवं निहत्था होना तथा उस समय की परिस्थितियां इस मामले को ‘दुर्लभ से दुलर्भतम’ बनाती हैं, इसलिए अपराधियों को इस समाज में जीने का हक नहीं है।’ 
 
अभियोजन पक्ष के अनुसार अंधविश्वास के कारण आदिवासी बृजलाल (45) अपनी पत्नी सुखमत बाई (40) के साथ बीमार बेटे सचिन (10) को लेकर 25 अगस्त 2014 की रात झाड़फूंक के लिए निवास के गांव तौरदरा पहुंचा था। वहां तांत्रिक महिला पार्वती बाई (25) झाड़फूंक का काम करती थी।
 
अतिरिक्त लोक अभियोजक देवाशीष झा ने कहा कि पार्वती बाई ने किसी तांत्रिक क्रिया के दौरान बृजलाल को बताया कि उस पर प्रेत का साया है, जिसकी वजह से उसका बेटा बीमार रहता है। प्रेत का साया हटाने के लिए पार्वती झूमने लगी और अचानक बृजलाल के गले में त्रिशूल घोंप दिया।
 
इसके बाद उन्होंने शव के साथ क्रूरता की और फिर उस पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। अतिरिक्त लोक अभियोजक ने बताया कि इस दौरान बृजलाल की पत्नी सुखमती एवं पुत्र सचिन मदद के लिए चीख-पुकार मचाते रहे, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। 
 
अगली सुबह लक्ष्मण सिंह नामक व्यक्ति ने घटना की सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद पुलिस ने कानूनी कार्रवाई शुरू की।
 
उन्होंने कहा कि विवेचना के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 148 (धारदार हथियार का उपयोग), 149 (अपराध करने के लिए गैर कानूनी तरीके से एकत्रित होना) एवं 201 (साक्ष्य मिटाना) के तहत चालान अदालत में पेश किया।
 
झा ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पाण्डेय ने प्रकरण की सुनवाई तथा गवाहों से जिरह के बाद सभी आरोपियों को फैसला सुनाने के एक दिन पहले दोषी करार दिया। 
 
उन्होंने 28 जनवरी के अपने फैसले में पार्वती बाई, गेंदा सिंह, दुमरी, मुकेश, भागवती बाई एवं सुरतिया बाई को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मृत्युदंड तथा धारा 148, 149 एवं 201 में तीन-तीन साल कारावास और 200-200 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। नाबालिग आरोपी पर किशोर अदालत में सुनवाई चल रही है। (भाषा)

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