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रेल बजट से नाराज हैं हरीश रावत

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ललित भट्‌ट

देहरादून। रेल बजट में उत्तराखंड की उपेक्षा से बुरी तरह खफा राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत रेलमंत्री के पास फिर से बजट का दरवाजा खटखटाने जाएंगे। मुख्‍यमंत्री का कहना है कि पिछले 12 वर्षों में यह पहला मौका है, जब उत्तराखंड रीते हाथ है। मुख्‍यमंत्री को अब भी उम्मीद है कि बजट चर्चा के दौरान शायद केन्द्र सरकार उनकी मांग पर विचार करें।
 
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि उत्तर पूर्व के राज्यों की तरह केन्द्र द्वारा तवज्जो देना जहां स्वागत योग्य है वहीं चीन सीमा से लगे उत्तराखंड की उपेक्षा ठीक नहीं। उनका सुझाव है कि मध्य हिमालय के राज्यों पर भी फोकस जरूरी है।
 
पिछले रेल बजट में मोदी सरकार ने चारधाम तक रेल पहुंचाने के लिए सर्वेक्षण का एलान किया था। यह उम्मीद सभी को थी कि शायद इस बजट में इस पर प्रावधान होगा तथापि इस बाबत बजट में कुछ नहीं है। यह मात्र आपदा परिजनों के जख्मों पर मरहम लगाने की तत्कालिक कोशिश भर ही साबित हुई।
 
उत्तराखंड में 350 किलोमीटर सीमा चीन से लगी है। इस सीमा तक पहुंचने के लिए टनकपुर बागेश्वर रेलमार्ग एवं ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलमार्ग को काफी सक्षम माना गया। पिछली यूपीए सरकार ने राज्य की तीन रेल परियोजनाओं को राष्ट्रीय महत्व का घोषित करने के बाद इसके जल्द पूरा होने का रोडमैप तैयार हुआ था, लेकिन यह नए रेल बजट में बेमानी हुआ।
 
जो परियोजनाएं राष्ट्रीय महत्व की घोषित हुई उनमें बागेश्वर टनकपुर के बीच ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना के लिए 4295.30 करोड़ रुपए 2010-11 में रखे गए थे, लेकिन आज तक इस मार्ग का सर्वेक्षण ही पूरा हो पाया। टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन का सर्वेक्षण होने के बाद भी इस पर आगे क्या होगा यह तय नहीं है। चारधाम यात्रा के लिए भी रेल को राष्ट्रीय महत्व का माना गया इस पर भी बजट मे चुप्पी ओढ़ ली है।

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