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गंदरबल के ‘गदर’ डरे उमर अब्दुल्ला

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने विधानसभा क्षेत्र गंदरबल के 'गदर’ से डर गए हैं। नतीजा सामने है। वे इस बार का विधानसभा चुनाव गंदरबल से नहीं लड़ेंगे। आधिकारिक घोषणा हो गई है। यही नहीं राज्य में नेकां की पतली हालत को देखते हुए मुख्यमंत्री अपनी ‘इजत’ बचाना चाहते है। अतः इस बार वे दो विधानसभा क्षेत्रों से किस्मत आजमाएंगे।
 
नेकां द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची के मुताबिक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस बार बीरवाह और सोनावर से मैदान में उतरेंगे। सोनावर में पहले चरण में 25 नवंबर और बीरवाह में 9 दिसंबर को मतदान होना है।
 
याद रहे राज्य में पहले चरण में जिन विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, उनमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का विधानसभा क्षेत्र गंदरबल भी था, जिसके प्रति इस बार यह चर्चा जोरों पर थी कि वह इस बार मुख्यमंत्री के साथ ‘गदर’ कर सकता है। अतः मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला अपने चुनावी क्षेत्र को बदल सकते हैं और अब यह सच भी साबित हो गया है। 
 
याद रहे गंदरबल नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ समझा जाता रहा है और इस सीट से अब्दुल्ला परिवार के लोग बड़े अंतर से जीतते रहे हैं। पर अबकी बार गंदरबल से अब्दुल्ला परिवार का कोई सदस्य इस विधानसभा सीट से मैदान में नहीं उतरेगा बल्कि गंदरबल से उस नेकां नेता अशफाक को मैदान में उतारने का फैसला किया है, जिसने पिछले चुनाव में उमर अब्दुल्ला के खिलाफ कांग्रेस की टिकट पर किस्मत आजमाई थी और तीसरे स्थान पर रहा था।
 
गंदरबल में नेकां के कई कार्यकर्ता एक लंबे अरसे से ही विद्रोह के मूड में थे। इस मूड को मुख्यमंत्री ने उस समय भांप लिया था जब पार्टी कार्यकर्ता जुलाई में आपस में भिड़ गए थे। तो नेकां के वरिष्ठ नेताओं ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर ही अपने लिए निर्वाचन क्षेत्र चुनने का फैसला छोड़ दिया था। 
अंततः मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गंदरबल का साथ छोड़ दिया है। वे अब बीरवाह और सोनावर से मैदान में उतरेंगें।
 
रोचक तथ्य यह है कि वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में डा फारूक अब्दुल्ला भी हजरतबल और सोनावर की सीटों से चुनाव लड़े थे, जबकि जानकारी के लिए गंदरबल तथा हजरतबल को अब्दुल्ला परिवार का गढ़ समझा जाता रहा है पर इस बार इन दोनों ही सीटों पर अब्दुल्ला परिवार का कोई सदस्य चुनाव मैदान में नहीं है।

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