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दस महीने में पांच बार मां बनी महिला !

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, गुरुवार, 2 जुलाई 2015 (14:17 IST)
देश में योजनाओं में रोज नए घोटाले सामने आते रहते हैं, लेकिन उत्तरप्रदेश में अधिकारियों ने पैसों के लिए जननी सुरक्षा योजना में जो घोटाला किया, उसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे।  खबरों के अनुसार जननी सुरक्षा योजना का लाभ पाने के लिए यहां कागजों पर अधि‍कारियों ने कई कारनामे किए, जो ऑडिट में सामने आए। जैसे एक महिला को चार महीने में तीन बार तो दूसरी महिला 10 महीने में 5 बार गर्भवती दिखा दिया। 
 
जननी सुरक्षा योजना के तहत मां बनने पर महिला को सरकार की तरफ से अच्छा और पौष्टिक भोजन करने के लिए कुछ राशि दी जाती है, लेकिन इस योजना की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। जांच में सामने आया कि एक महिला चार महीने में तीन बार तो दूसरी महिला 10 महीने में 5 बार गर्भवती दिखा दिया।
 
ऑडिट के बाद जो जानकारी निकलकर आई है। उसके मुताबिक एक ऐसी महिला को भी योजना के तहत 1400 रुपए का भुगतान कर दिया, जो बीते 12 वर्षों से मां नहीं बनी है। जांच अधिकारियों ने कहा कि इस फर्जीवाड़े में प्राइमरी हेल्थ सेंटरों के कर्मचारियों ने जमकर कमाई की है। अकेले बौंदी पीएचसी में इस तरह के 200 मामले सामने आए हैं। 

इस फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद योजना को लागू करने की जिम्मेदारी वाले अधिकारी जांच में जुटे तो एक और हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। वे कुछ रुपयों का लालच देकर क्षेत्र की महिलाओं को फर्जीवाड़े के लिए राजी कर लेते हैं। कागजों पर उन महिलाओं के नाम पर 1,400 रुपए जारी कर दिए जाते थे। इसमें से ज्यादातर रुपए कर्मचारी ही रख लेते थे।
 
मामले का खुलासा तब हुआ जब बदायूं में आशा देवी नाम की एक महिला चार महीने में तीन बार जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली राशि का चेक लेकर बैंक पहुंच गई। उसने इसी साल 28 फरवरी को बच्चे को जन्म देने का दावा कर 1,400 रुपए लिए। इसके बाद मार्च में भी ऐसा ही दावा किया और फिर कहा कि 20 मई को भी उसे बच्चा हुआ।
 
शक के आधार पर बैंक अधिकारियों ने स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी। जांच शुरू हुई तो इस फर्जीवाड़े की सच्‍चाई परत दर परत सामने आने लगी। बरही की राजेश्वरी देवी ने 24 अगस्त, 2011 को बच्चे को जन्म दिए जाने का दावा किया। जांच में पता चला कि उसने 12 साल पहले बच्चे को जन्म दिया था।
 
साल 2005 में सरकार ने गरीब महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य बच्चे के जन्म के वक्त मां की मौत की घटनाओं को कम करना और प्रसव के लिए अस्पताल आने को बढ़ावा देना था। (एजेंसियां)

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