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कश्मीर बाढ़ के 26 दिन, मुश्किलें बरकरार...

हमें फॉलो करें कश्मीर बाढ़ के 26 दिन, मुश्किलें बरकरार...

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर , बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (17:00 IST)
श्रीनगर। आज यानी बुधवार को पूरे 26 दिन हो गए हैं कश्मीर के सबसे खूबसूरत इलाके श्रीनगर को पानी में डूबे हुए। हालत यह है कि कई इलाकों में 26वें दिन भी जमीन की तलाश खत्म नहीं हो पाई थी। अर्थात पानी को पूरी तरह से बाहर नहीं निकाला जा सका था। कई इलाकों में अभी भी पानी का लेवल 3 से 4 फुट है और इसे निकालने में कितना वक्त लगेगा कोई नहीं जानता है और राज्य सरकार हाथ खड़े करके बैठी है।
ऐसे में आम कश्मीरी का सवाल था- ‘राज्य सरकार क्या किसी समुद्र को खाली कर रही है। जिस गति से पानी को बाहर निकालकर डल झील और झेलम में फिर से डाला जा रहा है वह गति नाकाफी है। लोगों का कहना था कि अगर यही हालत रहे तो कई हफ्ते और लग जाएंगे पानी निकालने में और ऐसे में उन इलाकों में सैकड़ों की संख्या में मकान जमींदोज हो जाएंगे जहां 26 दिनों से पानी अभी भी रुका पड़ा है।
 
श्रीनगर के बेमिना, जवाहर नगर, राजबाग, कुरसू और एचएमटी जैसे इलाकों में पानी का लेवल कम होने को नहीं आ रहा है। सरकार कहती है कि इन इलाकों में जमीन का लेवल बहुत नीचे है। दरअसल कश्मीर वादी ही नहीं बल्कि श्रीनगर भी कटोरे की शक्ल जैसा है और ये इलाके उस कटोरे के बिलकुल केंद्र में आते हैं, जहां अभी भी पानी जमा हुआ है।
 
नतीजा सामने है। करीब 200 हेवी ड्यूटी वाटर पम्प दिन रात काम कर रहे हैं। पर पानी है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। वैसे इसके बारे में भी कई बार जांच की जा चुकी है कि कहीं किसी अन्य स्थान से पानी शहर में घुस तो नहीं रहा। पर ऐसा कुछ नहीं पाया गया। बल्कि सच्चाई सामने यह आई है कि इन इलाकों में जमीन का लेवल झेलम के तल से भी नीचे है।
 
ऐसे में राज्य सरकार के लिए समस्या तो बनी ही हुई है जिन इलाकों से पानी को 26वें दिन भी निकालने में कामयाबी नहीं मिली है वहां के वाशिंदों की भी चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। उनकी चिंता मकानों के इतने दिनों तक पानी में रहने के कारण गिरने की है। जानकारी के मुताबिक इन 26 दिनों में तीन दर्जन मकान गिर भी चुके हैं।
 
यह भी सच है कि श्रीनगर के जो इलाके अभी भी पानी में डूबे हुए हैं, वहां से पानी को खाली करना समुद्र को खाली करने जैसा है। दरअसल पानी निकालने वाले पम्प भी आधे रास्ते में इसलिए हांफ जाते हैं क्योंकि जैसे-जैसे पानी का स्तर नीचे होता जा रहा है गाद और मिट्टी भी पम्पों की सांसों को रोक रही है और इस मुसीबत से निजात पाने का कोई रास्ता नहीं मिल पा रहा है।

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