श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सवा 3 महीने से चल रही अशांति के कारण व्यावसायिक और अन्य गतिविधियों के ठप रहने से लगातार 110वें दिन बुधवार को भी जनजीवन प्रभावित रहा।
अलगाववादियों और पथराव करने वाले कई हजार लोगों की गिरफ्तारी के बाद हालांकि हिंसक और विरोध प्रदर्शनों में कमी आई है और कुछ सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है लेकिन घाटी में यात्री वाहन नहीं चले। कुछ मार्गों पर कैब और तिपहिया वाहन चलते देखे गए।
पुलिस के मुताबिक कश्मीर घाटी के किसी भी हिस्से में अब कर्फ्यू नहीं लगाया गया है, पर एहतियात के तौर पर दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और पुलवामा तथा मध्य कश्मीर के गंदेरबल में लोगों के एकत्र होने पर पाबंदियां जारी हैं। हालांकि कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए श्रीनगर समेत घाटी के अन्य हिस्सों में बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों तथा राज्य पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है।
घाटी में पिछले 110 दिनों से दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं तथा शैक्षणिक संस्थानों में सन्नाटा पसरा हुआ है। अनंतनाग के कोकरनाग में गत 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी समेत 3 आतंकवादियों के मुठभेड़ में मारे जाने के अगले दिन से हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों धड़ों और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) आंदोलन को हवा दे रहे हैं। इन संगठनों ने पहले ही हड़ताल की अवधि गुरुवार तक के लिए बढ़ा दी है।
अलगाववादियों ने श्रीनगर में भारतीय सेना के आगमन के विरोध में लोगों से बुधवार और गुरुवार को अपने इलाकों में काला झंडा फहराने तथा जम्मू-कश्मीर विधानसभा तथा विधानमंडल परिसर तक मार्च निकालने का आह्वान किया है।
ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के बाहर सुरक्षा बल अब भी तैनात है। मस्जिद में 9 जुलाई के बाद से शुक्रवार की नमाज अदा नहीं की जा सकी है। वानी के मारे जाने के बाद भड़की हिंसा और सुरक्षाबलों तथा पुलिस कार्रवाई में 86 लोग मारे गए हैं जिनमें अधिकांश युवक हैं। इस दौरान 10 हजार से अधिक लोग घायल हुए हैं। (वार्ता)