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'लव मैरिज' करने वाले दंपति की प्रधानमंत्री से अनोखी गुहार

हमें फॉलो करें 'लव मैरिज' करने वाले दंपति की प्रधानमंत्री से अनोखी गुहार
, रविवार, 16 अप्रैल 2017 (21:47 IST)
मननथावडी (केरल)। 'लव मैरिज' करना गुनाह नहीं है लेकिन आज के बदलते समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो प्रेम विवाह पर नाक-भों सिकोड़ते हैं और उसे मंजूर नहीं करते। ऐसा ही एक 'प्रेम विवाह' का मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दफ्तर में खत के जरिए पहुंचा है, जिसमें एक युवा दंपति ने शादी के 5 बरस बीतने के बाद समुदाय के लोगों द्वारा कथित रुप से बहिष्कृत किए जाने पर अपनी 'अग्निपरीक्षा' को खत्म करने के लिए उनसे दखल देने की मांग की है। 
 
5 साल पहले  सुदूरवर्ती मननथावडी की सुकन्या नाम की लड़की को अरुण नामक युवक से प्रेम हो गया था और दोनों ने शादी कर ली लेकिन वे नहीं जानते थे कि जिस प्रेम को वे सात फेरों के बंधन तक लेकर आ गए हैं, वह आने वाले वक्त में एक बड़ी मुसीबत बनने वाला है। असल में इस लव मैरिज से उनका समाज खुश नहीं था, जिसकी वहज से यह युवा दंपति इस वक्त बहुत बड़ी कीमत चुका रहा है।  
 
केरल के पहाड़ी इलाके वायनाड जिले में सुदूरवर्ती मननथावडी की 23 वर्षीय सुकन्या ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक खत भेजा है। इसमें उसने लिखा है कि उसे और उसके पति को साल 2012 में शादी करने के बाद समुदाय के साथ विश्वासघात करने के आरोप में समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है। इसने साल गुजर जाने के बाद भी समाज हमें स्वीकार नहीं कर रहा है। 
 
सुकन्या के अनुसार हमें समाज से बहिष्कृत तो किया ही गया, साथ ही साथ हमारे समुदाय ने पर्ची छपवाकर हमें विश्वासघाती बताया। दंपति ने डीजीपी को भी आज एक पत्र भेजकर अपने समुदाय के नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। समुदाय के नेता ने विवाहित जोड़े के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। 
 
सुकन्या के पति अरुण की उम्र 27 बरस है जबकि सुकन्या 23 बरस की है। ये दोनों यादव समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी मुसीबत तब शुरू हुई जब पांच साल पहले उन्हें प्यार हुआ था और उन्होंने शादी करने का फैसला किया था।
 
सुकन्या ने कहा कि हमें समाज से बहिष्कृत कर दिया गया क्योंकि हमारा प्रेम विवाह हुआ। हमारी शादी मंदिर में हुई और हमारी शादी का पंजीकरण हुआ। स्थानीय समुदाय के प्रमुख के अनुसार शादी परंपराओं के अनुसार नहीं है। दंपति की दो साल की एक बेटी है। बहिष्कृत किए जाने की वजह से वे अपने परिवार के सदस्यों से मिल नहीं सकते हैं, विवाह या अंत्येष्टि जैसे परिवार के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते हैं।
 
सुकन्या के प्रधानमंत्री को लिखे खत को रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका गया। अधिकारियों ने आज बताया कि शिकायत हाल ही में पीएमओ ने केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के शिकायत प्रकोष्ठ और सामाजिक न्याय विभाग को भेजी है। सरकार के निर्देश पर मननथावडी पुलिस ने भी मामले की जांच शुरू कर दी है। (वेबदुनिया/वार्ता) 

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