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गोवा में राजनीतिक घमासान, पर्रिकर बना सकते हैं सरकार...

हमें फॉलो करें गोवा में राजनीतिक घमासान, पर्रिकर बना सकते हैं सरकार...
पणजी , रविवार, 12 मार्च 2017 (16:56 IST)
पणजी। गोवा के नवनिर्वाचित भाजपा विधायकों ने पार्टी विधायक दल के नेता के रूप में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का सर्वसम्मति से समर्थन किया है तथा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) ने भी कहा कि वह पर्रिकर की अगुवाई वाली सरकार का समर्थन करेगी।

 
राज्य में सरकार गठन की संभावनाएं खंगालने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों ने रविवार को एक बैठक की तथा एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से पर्रिकर को विधायक दल का नेता नामित करने की अपील की।
 
भाजपा विधायक माइक लोबो ने यहां पार्टी मुख्यालय के बाहर कहा कि मिलिंद नाइक को छोड़कर सभी भाजपा विधायक रविवार को इस बैठक में मौजूद थे। नाइक के भाई का शनिवार को निधन हो गया था। 
 
लोबो ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से मनोहर पर्रिकर को गोवा में पार्टी विधायक दल का नेता चुने जाने की इजाजत देने का अनुरोध करते हुए सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया।
 
उन्होंने कहा कि हम इस प्रस्ताव की प्रति पार्टी अध्यक्ष को भेजने का फैसला पहले ही कर चुके हैं। एक पत्र लिखकर आग्रह किया जाएगा कि पर्रिकर को विधायक दल का नेता चुने जाने की इजाजत दी जाए। लोबो के साथ प्रमोद सावंत, ग्लेन्न टिकलो और नीलेश काब्राल जैसे भाजपा विधायक थे।
 
दूसरी ओर गोवा फॉर्वर्ड पार्टी ने कहा है कि उसकी भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ औपचारिक बातचीत चल रही है। गोवा में नई सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का दम रखने वाली गोवा फॉर्वर्ड पार्टी (जीएफपी) ने रविवार को कहा कि वह अगले कदम पर कोई निर्णय लेने से पहले भाजपा या कांग्रेस की ओर से किसी औपचारिक प्रस्ताव का इंतजार कर रही है।
 
जीएफपी के अध्यक्ष प्रभाकर टिंबले ने रविवार को कहा कि हमने समर्थन वाला कोई पत्र अभी किसी को नहीं दिया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के साथ औपचारिक बातचीत चल रही है। दोनों पार्टियों के नेता हमारे संपर्क में हैं। 
 
जीएफपी ने चुनाव में विधानसभा की 40 में से 3 सीटें जीती हैं और अब इसका राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके समर्थन के बिना भाजपा सरकार नहीं बना सकती और काग्रेस को भी सरकार बनाने के लिए जीएफपी अथवा जीएमपी के समर्थन की आवश्यकता होगी।
 
टिबले ने कहा कि हमें समर्थन चाहने वाली पर्टियों से न्यूनतम साझा कार्यक्रम और औपचारिक प्रस्ताव का इंतजार है। उसके बिना हम कोई भी निर्णय लेने में सक्षम नहीं होंगे। (भाषा)


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