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मसर्रत को बचपन से ही है पत्थर मारने की लत

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। अलगाववादी नेता मसर्रत आलम बचपन से ही पत्थर फेंकने में आगे रहा है। मसर्रत ने 2010 में एंटी इंडिया आंदोलन चलाया था, जिसमें 112 लोगों की पथराव के दौरान मौत हो गई थी।
 
masrat alam
हाल ही में हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता और मुस्लिम लीग के चेयरमैन 44 वर्षीय मसर्रत को लगभग साढ़े चार साल के बाद जेल से रिहा किया गया। अलगाववादी नेता मसर्रत की रिहाई के आदेश जिस समय दिए गए थे, उस समय राजनीति में भूचाल आ गया था।
 
जम्मू कश्मीर सत्ता में भागीदार पीडीपी सरकार ने आलम की रिहाई के आदेश दिए थे। मसर्रत ने 2010 में एंटी इंडिया आंदोलन चलाया था, जिसमें 112 लोगों की पथराव के दौरान मौत हो गई थी।
 
कश्मीर में पत्थर फेंककर आंदोलन करने का सिलसिला 1980 से चला आ रहा है। ये श्रीनगर के मीरवायज के गढ़ में आम था। 2010 में मसर्रत ने कहा था कि मैं बचपन से पत्थर फेंकने वाला रहा हूं। उस समय पत्थर फेंक कर ही विरोध प्रदर्शन किया जाता था। अमेरिका में लोग जूते, कोका कोला टिन और कूड़ा फेंकते हैं। राजस्थान में गुज्जर पत्थर फेंकते हैं, जब उनकी मांगे पूरी नहीं होती हैं।
 
श्रीनगर के जैंडरा इलाके में रहने वाले मसर्रत आलम 1990 से लेकर अब तक लगभग 19 साल जेल में रह चुका है। 10 नवंबर 1971 में जन्मे मसर्रत को पहली बार दो अक्टूबर 1990 को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए), 1978 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
 
इस कानून के तहत जिले के डीएम या संभाग आयुक्त किसी की भी गिरफ्तारी के आदेश दे सकते हैं अगर उनसे राज्य की सुरक्षा या शांति भंग होने का खतरा हो। लेकिन गिरफ्तारी के 12 दिनों के अंदर राज्य के गृह मंत्रालय से उसकी मंजूरी लेनी पड़ती है।
 
राज्य की सुरक्षा को खतरा होने की स्थिति में दो साल और शांति भंग होने की आशंका होने की स्थिति में एक साल तक जेल में बंद रखा जा सकता है। लेकिन 2012 में इस कानून में एक संशोधन कर ये मियाद क्रमशः छह महीने और तीन महीने कर दी गई।

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