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यहां गर्भ में पल रहे शिशु की होगी शिक्षा दीक्षा

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, बुधवार, 22 जुलाई 2015 (11:51 IST)
भोपाल। आज का दौर प्रतिस्पर्धा का दौर है। हर मां-बाप चाहते हैं कि उनकी संतान जल्दी से जल्दी ज्ञान को ग्रहण करे और अच्छे मुकाम को प्राप्त करे। लेकिन अगर शिशु की शिक्षा-दीक्षा मां के गर्भ से ही शुरू हो जाए तो कैसा रहेगा?
आप शायद यही कहेंगे कि यह तो एक व्यर्थ बात हुई। लेकिन हाल ही में मध्यप्रदेश के अटल बिहारी विश्वविद्यालय में एक केंद्र की स्थापना की गई है, जहां ऐसी स्त्रियों को बुलाया जाता है, जो गर्भवती हों  और उन्हें कई प्रकार से प्रशिक्षित किया जाता है।

जिसका असर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है  और उनका शिशु प्रतिभाशाली पैदा होता है। जी हां, ये कुछ वैसा ही है, जैसा कि महाभारत काल में अर्जुन  के पुत्र अभिमन्यु का अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में ही चक्रव्यूह का ज्ञान प्राप्त करना। 
 
भोपाल के विश्वविद्यालय के इस कार्यक्रम का नाम 'गर्भ संवाद' अर्थात मां के गर्भ में पल रहे शिशु से  बातचीत करना है। विश्वविद्यालय ने दावा किया है कि वे इस कार्यक्रम के तहत 25 से ज्यादा महिलाओं  के शिशुओं के साथ 'गर्भ संवाद' कर चुके हैं। इनके इस केंद्र का नाम 'गर्भ संस्कार तपोवन' केंद्र है, जो  पिछले साल शुरू हुआ है। 
 
केंद्र के प्रशिक्षक कहते हैं कि यह कोर्स निर्धारित करेगा कि आपका बच्चा कैसा पैदा होगा? इसके लिए  गर्भवती मां को विश्वविद्यालय द्वारा चलाए जा रहे सेंटर में पंजीकरण करवाना होगा और इसके उसे 12 से  3 के बीच रोजाना फ्री में ट्रेनिंग दी जाएगी। 
 
केंद्र की एक प्रशिक्षक ने बताया कि ट्रेनिंग के दौरान गर्भवती मां से योग करवाया जाएगा और संगीत  सुनवाया जाएगा साथ ही 'गर्भ संवाद' करवाया जाएगा। इस दौरान गर्भवती मां से कहा जाएगा कि वह  अपने पेट में हाथ रखे और अपने शिशु पर ध्यान लगाते हुए उससे बात करने की कोशिश करे।
 
उन्होंने आगे बताया कि इसके अलावा गर्भवती मां से हर सप्ताह में दो बार गणित के सवाल हल करवाए  जाएंगे। इससे शिशु का दिमाग तेज होगा। इसके अलावा जो लोग अपने बच्चे को भविष्य में कम्प्यूटर  प्रोफेशनल बनाना चाहते हैं, तो गर्भवती मां को कम्प्यूटर के बारे में सोचना चाहिए और 'गर्भ संवाद' के  दौरान कम्प्यूटर के संबंध में बातें करनी चाहिए। 
 
जब प्रशिक्षकों से पूछा गया कि क्या यह तरीका वास्तव में मददगार है? तो उन्होंने बताया कि अभी तक  जिन गर्भवती माताओं ने इस केंद्र को अटेंड किया है उनमें से 4 ने अपने शिशुओं को जन्म दिया है और  उनके बच्चे सामान्य बच्चों से अलग हैं और प्रतिभाशाली दिखाई दे रहे हैं, साथ ही ये बच्चे ज्यादा  क्रियाशील हैं। 
 
केंद्र की इंचार्ज रेखा राय ने बताया कि यह कोई नई बात नहीं है बल्कि यह तो हमारी परंपरा का हिस्सा  रहा है, लेकिन अब इसका अनुसरण नहीं किया जा रहा। साथ ही इसका संबंध किसी धर्म विशेष से नहीं  है, जैसा कि विभिन्न धर्मों की महिलाएं इस कार्यक्रम में भाग ले रही हैं। 
 
यह सेंटर विश्वविद्यालय द्वारा पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया गया था और अब तक इस केंद्र में 25  महिलाएं पंजीयन करवा चुकी हैं।(एजेंसियां) 

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