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मृदुभाषी और सौम्य राजनेता हैं मुफ्ती मोहम्मद सईद

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जम्मू , रविवार, 1 मार्च 2015 (13:04 IST)
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के नए मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद अटल इरादों और बड़े तूफानों में भी अपनी कश्ती को पार लगाने की कूवत रखने के लिए जाने जाते हैं जिनकी आंखों में कश्मीर की राजनीति के दशकों के अनुभव की रोशनी है।
 
अब वे भाजपा के साथ नाजुक गठबंधन को आकार देते हुए दूसरी बार जम्मू-कश्मीर की कमान संभालने जा रहे हैं।
 
79 वर्षीय सईद को मृदुभाषी और सौम्य राजनेता के रूप में देखा जाता है लेकिन देश के पहले मुस्लिम गृहमंत्री की छवि को उस समय आघात लगा था, जब वीपी सिंह की अगुवाई वाली उनकी सरकार ने उनकी 3 बेटियों में से एक रूबिया की रिहाई के बदले में 5 लोगों को छोड़ने की आतंकवादियों की मांग के आगे घुटने टेक दिए थे।
 
रूबिया की रिहाई के बदले में आतंकवादियों की रिहाई के संवेदनशील राज्य जम्मू-कश्मीर की राजनीति में दूरगामी प्रभाव पड़े। 2 दिसंबर 1989 को राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार के गठन के 5 दिन के बाद ही रूबिया का अपहरण कर लिया गया था।
 
अक्सर अपनी राजनीतिक निष्ठाओं को बदलते रहने वाले सईद उस समय केंद्र में गृहमंत्री थे, जब घाटी में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू किया था और उसी समय 1990 में वादियों से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन की कुख्यात कहानी शुरू हुई।
 
अपनी बेटी महबूबा मुफ्ती के साथ 1999 में खुद की राजनीतिक पार्टी ‘जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोकेट्रिक फ्रंट' (जेकेपीडीपी) का गठन करने से पूर्व सईद ने अपने राजनीतिक करियर का लंबा समय कांग्रेस में बिताया और कुछ समय वे वीपी सिंह के तहत जनमोर्चा में भी रहे। 1950 के दशक में वे जीएम सादिक की कमान में डेमोक्रेटिक नेशनल कांफ्रेंस के सदस्य भी रहे। (भाषा)
 

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