Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भारत को अपनी खिड़कियां-दरवाजे खुले रखने चाहिए : मुनव्वर राना

हमें फॉलो करें भारत को अपनी खिड़कियां-दरवाजे खुले रखने चाहिए : मुनव्वर राना
वाराणसी , गुरुवार, 3 नवंबर 2016 (15:06 IST)
वाराणसी। मशहूर शायर मुनव्वर राना ने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ रिश्तों में उपजी कड़वाहट दूर करने की वकालत करते हुए कहा है कि संगीत, साहित्य व कला के आदान-प्रदान के जरिए भारत को अपनी खिड़कियां व दरवाजे खुले रखने चाहिए।

 
उर्दू व फारसी के जानकार मरहूम डॉ. अमृतलाल इशरत मधोक की 86वीं जयंती पर बुधवार रात वाराणसी में संपन्न अखिल भारतीय मुशायरे में शिरकत करने आए राना ने मीडिया से संक्षिप्त मुलाकात में कहा कि सियासत गजल की जुबान नहीं समझती। इसी तरह फौज को भी सियासत से अलग रखना चाहिए।
 
देश में मुसलमानों की दशा पर चिंतित मुनव्वर ने कहा कि प्रधानमंत्री को दलितों का दर्द तो दिखाई देता है, लेकिन मुसलमानों की आहें उन्हें सुनाई नहीं देतीं। अब तो उर्दू जबान को आतंकवाद की पहचान बना दिया गया है। मुल्क की पुलिस किसी भी मुसलमान को पकड़ती है तो उसकी जेब से एक उर्दू जबान में लिखा खत दिखाकर उसे आतंकवादी घोषित कर देती है।
 
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में उर्दू पर दो बार बिजली गिरी। एक जब मुल्क का बंटवारा हुआ, दूसरे जब अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिरी। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने अपना असलहा बेचने के लिए हिन्दुस्तान के तीन टुकड़े (भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) करा दिए।
 
राना ने उर्दू अकादमी बंद करने का सुझाव दिया और कहा कि इसकी जगह जिलों में मजिस्ट्रेट की निगरानी में ऐसी संस्था बने, जो सब पर निगाह रखे। इसका सालाना बजट 100 करोड़ रुपए हो। अवॉर्ड वापसी पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पुरस्कार तो बहुत लोगों ने लौटाए थे लेकिन मैंने यह भी कहा था कि अब कभी कोई सरकारी पुरस्कार नहीं लूंगा। (भाषा)


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोदी करें शहीद जवानों के माता-पिता से मुलाकात : मुलायम