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पूरे रंग में आया विश्वविख्यात पुष्कर का मेला

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भारत के रंगीले राजस्थान में हर साल आयोजित होने वाला विश्वविख्यात पुष्कर मेला दुनिया भर में अपनी अलग पहचान रखता है। पुष्कर का वार्षिक पशु और आध्यात्मिक मेला 15 दिन चलता है। मेले की शुरुआत वैसे तो 12 नवंबर को दिवाली के दूसरे दिन से ही हो गई थी। 
 
इस मेले को पशुओं की खरीद-फरोख्त के भी जाना जाता है। इस बार मेले में घोड़े अच्छी संख्या में आए हैं। मारवाड़ी, काठियावाड़ी और पंजाबी घोड़े अच्छी संख्या में दिख रहे हैं। लेकिन साल दर साल इनकी संख्या में कमी आती जा रही है। इस बार पशुओं की संख्या पिछली बार के मुकाबले कम है और पर्यटक भी कुछ कम दिख रहे हैं, लेकिन जैसे जैसे दिन बीतते जाएंगे मेले मे रंगत और बढ़ जाएगी।
 
विभिन्न प्रतियोगिताएं : मेले में मांडना प्रतियोगिता, ऊंटों की सजावट और देशी व विदेशी पर्यटकों के बीच फुटबॉल मैच, परंपरागत खेलों में सितोलिया, कुश्ती, ऊंट दौड़ आदि प्रतियोगिताएं आकर्षण का केन्द्र हैं। विजेताओं को पुरस्कार भी दिए जाते हैं। 
 
22 नवंबर से धार्मिक मेला : पुष्कर मेले के तहत 22 से 25 नवंबर तक धार्मिक मेला होगा। इसकी शुरुआत पुष्कर के सभी 52 घाटों पर महाआरती और दीपदान से होगी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगी। पहले दिन पुष्कर में संतों की पदयात्रा का आयोजन भी होगा। नगाड़ा और शंख वादन के साथ धार्मिक मेला शुरू होगा। धार्मिक मेला 25 नवंबर को पुष्कर सरोवर स्नान के साथ खत्म होगा। इसके बाद 27 नवंबर तक मेला पूरी तरह सिमट जाएगा।


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