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कश्मीर घाटी में फिर बारिश

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श्रीनगर , रविवार, 14 सितम्बर 2014 (10:56 IST)
श्रीनगर। बारिश की वजह से रविवार सुबह बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में राहत अभियान थोड़ा प्रभावित हुआ, वहीं कश्मीर घाटी में बाढ़ में फंसे 60,000 और लोगों को सेना और एनडीआरएफ बचाव टीमों ने निकाला।
 
मौत और तबाही लाने वाली सदी की राज्य की सबसे त्रासद बाढ़ में पिछले कुछ दिनों से 1 लाख से अधिक लोग बेबस, असहाय बने हुए हैं।
 
घाटी के कई हिस्सों में रविवार सुबह हल्की बारिश हुई जिससे इलाके में दिक्कतें और बढ़ने की आशंका होने लगी। पिछले सप्ताह की मूसलधार बारिश से घाटी पहले ही परेशानी का सामना कर रही है, हालांकि सुबह में करीब 8.30 बजे शुरू हुई बारिश 1 घंटे में ही रुक गई।
 
वायुसेना अधिकारियों ने बताया कि बारिश और घने बादल के मद्देनजर वायुसेना ने राहत आपूर्ति ढो रहे विमानों को रोक दिया, हालांकि दवाइयां ढोने का आपात अभियान जारी रहा। वायुसेना के हेलिकॉप्टरों से राहत अभियान दिन में 11.15 में फिर शुरू हो गया।
 
श्रीनगर के एसडीएम सैयद आबिद रशीद शाह ने बताया कि खराब मौसम से दिक्कतें होंगी, क्योंकि कई लोग बिना आश्रय के अभी भी सड़कों पर हैं। कुछ जगहों पर लोग टेंट में हैं, जो वॉटरप्रूफ नहीं हैं।
 
आईएमडी के निदेशक बीपी यादव ने कहा कि सुबह में हल्की बारिश हुई लेकिन हमने कोई चेतावनी जारी नहीं की। राज्य में रविवार को भारी बारिश नहीं होगी। 
 
वायुसेना ने जम्मू और कश्मीर क्षेत्रों में बाढ़ आने के बाद से बड़े स्तर पर राहत एवं बचाव अभियान चलाया है। राहत अभियान की जिम्मेदारी मिलने के तुरंत बाद किए गए हवाई सर्वेक्षण के दौरान कश्मीर घाटी की स्थिति बताते हुए सिंह ने कहा कि जब हमने 7 सितंबर को ऑपरेशन शुरू किया, तो घाटी का बहुत बड़ा प्रतिशत भाग जलमग्न था तथा कश्मीर घाटी समुद्र की तरह थी। हम झेलम, डल झील और आबादी वाले इलाकों में अंतर नहीं कर पाए। यह पूरा इलाका एक जलाशय की तरह था।
 
उन्होंने कहा कि जब अभियान शुरू हुआ तो बहुत परेशानियां थीं, क्योंकि टेलीफोन नेटवर्क टूटा हुआ था और स्थानीय चीजों की जानकारी के लिए किसी से संपर्क नहीं हो सका। 
 
जम्मू क्षेत्र के उधमपुर के रहने वाले और 1 घंटे के नोटिस पर अभियान की देखरेख करने घाटी आने वाले सिंह ने कहा क‍ि इसलिए हमने हवाई सर्वेक्षण और लोगों से जितनी जानकारी मिली उसके आधार पर आकलन तेज किया। 
 
उन्होंने कहा कि शुरुआत में अभियान का जोर जलमग्न घरों में फंसे लोगों को बचाने पर था। इसके लिए कमांडो ने रस्सी के सहारे छतों, बॉलकनी और खिड़कियों से लोगों को निकाला। कम से कम 1 हजार लोगों को इस तरह से निकाला गया। (भाषा) 

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