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दुष्कर्मी पिता को मौत की सजा

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कीर्ति राजेश चौरसिया

, सोमवार, 21 नवंबर 2016 (21:07 IST)
छतरपुर में सगी पुत्री के साथ बलात्कार करने वाले और नवजात नातिन को जिंदा मारने के एक मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है।  सत्र न्यायाधीश भारत भूषण श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी पिता को दोषी करार दिया। 
अदालत ने आरोपी कलयुगी पिता को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने पीडि़त पुत्री को तनूजा नाम दिया।  खबरों के मुताबिक 28 फरवरी 2016 को दिन के करीब 2 बजे सूचना मिली कि ग्राम उर्दमऊ के तालाब में एक 6-7 माह के नवजात शिशु का शव पड़ा हुआ है। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया। 
 
विवेचना के दौरान पुलिस को पीडि़ता ने पूछताछ करने पर बताया कि उसकी मां की बचपन में ही मृत्यु हो गई थी। वह अपने पिता के साथ ग्राम उर्दमऊ में रहती थी। उसका पिता शराब पीने का आदी था। पिछले वर्ष उसके साथ उसके पिता ने जबरन दुष्कर्म किया। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। 
 
इसके बाद उसका पिता उसे जिंद गांव दिल्ली ले गया। वहां भी उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके मना करने पर उसका पिता उसकी मारपीट करता था। पीड़िता गर्भवती हो गई तब उसका पिता उसे फिर से उर्दमऊ ले आया और उसका गर्भ गिराने के लिए उसे दवा खिलाई, जिससे गर्भपात हुआ और एक बच्ची का जन्म हुआ। नवजात बच्ची को उसके पिता ने कपड़े में लपेटकर गांव के मटिया वाले तालाब में फेंककर मार डाला।
 
न्यायाधीश भारत भूषण श्रीवास्तव की अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार और कानून के तहत लैंगिग मामलों में पीडि़त पक्ष का नाम सार्वजनिक न करते हुए पीडि़ता को तनूजा नाम से संबंधित किया और उसकी पहचान गोपनीय रखी। 
 
न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता तनूजा के साथ उसके पिता आरोपी ने क्रूरता पूर्ण, बर्बर, पाशविक, अतुलनात्मक रवैया अपनाकर जघन्य कृत्य किया है, जिससे पीडि़ता तनूजा को इस जघन्य घटना से गहरा मानसिक घाव पहुंचा है। 
 
सत्र न्यायाधीश भारत भूषण श्रीवास्तव की अदालत ने आरोपी कलयुगी पिता को पीड़ित पुत्री तनूजा के साथ दुष्कर्म करने का दोषी करार दिया है।  अदालत ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 में आरोपी के जीवन के अंतिम दिन तक की कठोर कैद की सजा दी। इसके साथ ही तनूजा का गर्भपात कराकर नवाजात शिशु की हत्या करने के अपराध में दोषी ठहराकर आईपीसी की धारा 302 में मृत्युदंड की सजा सुनाई।


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