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उत्तरप्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं महिलाएं : कैग

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, रविवार, 28 अगस्त 2016 (21:12 IST)
लखनऊ। भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश में पिछले 5 सालों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि नाबालिग लड़कियों की हालत और बदतर हुई है। राज्य सरकार ने हालांकि रिपोर्ट की सत्यता पर सवालिया निशान लगाया है। 
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 2 सालों में सूबे में बलात्कार की घटनाओं में 43 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस दौरान बलात्कार की शिकार बनने वालों में से 59 प्रतिशत नाबालिग थीं। पिछले 2 सालों में 10 साल से कम उम्र की 44 फीसदी बालिकाओं को हवस का शिकार बनाया गया जबकि इस मामले में 11 से 18 साल के बीच की किशोरियों का प्रतिशत 57 था। बलात्कार का दंश झेलने वाली 18 साल से अधिक उम्र की युवतियों का प्रतिशत 27 था। 
 
पिछले 5 सालों में बलात्कार के सबसे ज्यादा 392 मामले अलीगढ़ में दर्ज किए गए जबकि इस दौरान इलाहाबाद में 348, मेरठ में 346, आगरा में 328 और लखनऊ में भी 328 मामले सामने आए। 
 
रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में नाबालिग पर हमले की 55 फीसदी वारदातें सामने आईं। वर्ष 2013-14 के दौरान राज्य में महिलाओं पर हमले की घटनाओं में 73 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। कैग की रिपोर्ट को पिछले सप्ताह राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में सदन के पटल पर रखा गया। 
 
कैग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले 5 सालों में लखनऊ में महिलाओं पर हमले की 1205 घटनाएं पुलिस के रजिस्टर में दर्ज की गईं जबकि मेरठ में यह आंकड़ा 1125, अलीगढ़ में 1067, आगरा में 979 और इलाहाबाद में 767 था।
 
राज्य में पिछले 2 सालों के दौरान महिलाओं के अपहरण की घटनाओं में भी इजाफा हुआ। इस अवधि में 71 फीसदी नाबालिग लड़कियों का अपहरण हुआ। अलीगढ़ में अपहरण के सबसे ज्यादा 1524 मामले सामने आए जबकि कानपुर में 1511, आगरा में 1502, लखनऊ में 1274 और मेरठ में 1109 मामले दर्ज किए गए।
 
यहां दिलचस्प तथ्य यह है कि सूबे में महिलाओं की आबादी 9 करोड़ 53 लाख है जबकि महिला पुलिसकर्मियों की तादाद महज 7,404 है, जो महिलाओं की कुल आबादी का 4.55 फीसदी है। राज्य सरकार हालांकि कैग के आंकड़ों का खंडन करती है। (वार्ता)


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