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करिश्‍माई बालक, 3 वर्ष की उम्र में 15 जैसा...

हमें फॉलो करें करिश्‍माई बालक, 3 वर्ष की उम्र में 15 जैसा...
- रामजी मिश्र 'मित्र'
 
आपने प्रतिभाओं की ढेर सारी कहानियां जरूर पढ़ी होंगी। हम आपको एक ऐसे बच्चे के बारे में बताएंगे, जिसकी प्रतिभा आपको अचरज में डाल देगी। यह मामला वाकई किसी करिश्मे से कम नहीं है। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में जन्मे शुभ की शारीरिक आयु भले महज तीन साल हो लेकिन उसकी मानसिक आयु पंद्रह वर्ष के बच्चे के बराबर है।
 
वर्तमान में शुभ जवाहर कॉलोनी में अपने माता सरोज और पिता अजय के साथ रहता है। शुभ की जन्म तिथि आठ मार्च दो हजार बारह है। शुभ की मां को शुभ की हरकतों पर काफी दिनों तक आश्चर्य होता रहा और हर बार वह उसे महज एक इत्तफाक समझती रही। वह समझ नहीं पा रही थी कि एक छोटा बच्चा बड़ों जैसा व्यवहार कैसे कर सकता है। दरअसल, शुभ बड़ों की न सिर्फ नकल उतारता था बल्कि बच्चे की अन्य हरकतें और चेहरे के बदलते हाव-भाव हर बार कुछ और ही बयां कर रहे थे। हर सीरियल जो कि वह देख लेता था के पात्रों के नाम वह तोतली भाषा में प्रयोग करता था। 
 
शुभ धीरे-धीरे एक वर्ष की सीमा को पार कर चुका था और अब वह अपने आसपास के लोगों में चर्चा का विषय बनता जा रहा था। शुभ की मां बच्चे के प्रति पूर्ण सतर्क थी। वास्तव में शुभ को एक सही दिशा देने के लिए उसकी मां का उत्तरदायित्व बहुत अधिक बढ़ चुका था। मां पहली शिक्षिका के रूप में थी। पिता मामूली से किसान होकर भी बच्चे की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते थे, खासकर जब वह सामान्य बालकों से कहीं अलग है। 
 
मां ने शुभ के सामने ज्ञानवर्धक प्रोग्राम टीवी पर चलाने शुरू कर दिए। जब वह स्कूल से बच्चों को पढ़ाकर आती तो शुभ को लाड़-प्यार देने के साथ-साथ ऐतिहासिक कहानियां भी सुनाती। परिणाम चौंकाने वाले थे शुभ एक बार में सब सुनकर याद कर लेता था। अब वह धीरे-धीरे मां को अन्य माध्यमों से अर्जित ज्ञान को साझा करने का प्रयास करता और मां उस पर फूली नहीं समाती। 
 
अब तक शुभ कई अखबारों की सुर्खियां बन चुका है। शुभ प्रतिभावान तो है ही, साथ में यह बालक बेहद धार्मिक प्रवृत्ति का है। वर्तमान में शुभ को रामचरितमानस, हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तसती और विभिन्न वेद मंत्र अभी से याद हैं। शुभ को इतिहास भूगोल और विशेष घटनाक्रम की पूरी जानकारी रहती है। शुभ रोज सुबह महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है और हनुमान चालीसा का पाठ भी वह रोज करता है। बड़े-बड़ों की बोलती बंद करने वाले पत्रकारों के पास शुभ से मिलकर सिर्फ हार मानना ही एक विकल्प बचता है। 
 
शुभ की माता सरोज से जब मैंने बच्चे के लिए एक लाइन कहने को कहा तो वह उसे दुलराते हुए बोली, 'मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा।' चिकित्सकों एवं मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, यह मामले वाकई विरले हैं और यह विशिष्ट बालक होते हैं। 
 
दरअसल शारीरिक आयु से मानसिक आयु इतनी अधिक होना वाकई आश्चर्य की बात है। शुभ इतनी कम उम्र में कई बार अखबारों की सुर्खियां बन चुका है। अब तक न जाने कितने लोग दिलचस्पी के कारण रायबरेली शहर के जवाहर विहार कॉलोनी में रहने वाले अजय से मिलने आ चुके हैं। शुभ को शुभकामनाएं देने वालों का तांता लगा है। 
 
शुभ जैसे बच्चे अपने माता-पिता का नाम तो रोशन ही करते हैं, साथ ही देश और प्रदेश का भी नाम रोशन करते हैं। शुभ के लिए ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ लोग उसके संस्कार देखकर बरबस ही कह उठाते हैं, 'ते पितु मातु धन्य जिन जाए, धन्य सो नगरु जहां ते आए।'

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