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पाक नहीं चाहता कश्मीर में शांति, उपचुनाव तक जारी रहेगी हिंसा

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सुरेश एस डुग्गर

, बुधवार, 19 अप्रैल 2017 (18:22 IST)
श्रीनगर। कश्मीर में तेज हुई हिंसा के पीछे का मकसद लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नेस्तनाबूद करके दुनिया को यह संदेश देना है कि कश्मीर अभी भी अशांत है और कश्मीरी नागरिक भारतीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं। ऐसे में यह आशंका प्रकट की जा रही है कि 25 मई तक कश्मीर उबाल पर ही रहेगा, जब अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र के लिए उप-चुनाव होना है।
 
पहले यह मतदान 12 अप्रैल को होना था पर कश्मीर के चुनावी इतिहास की सबसे भयानक हिंसा ने 9 अप्रैल को जो रुख अख्तियार किया वह बहुत ही भयानक था। पहली बार ऐसा हुआ था कि आतंकियों ने नहीं बल्कि कश्मीरी जनता और पत्थरबाजों ने मिलकर ईवीएम मशीनें लूट ली थीं और मतदान केंद्रों पर हमले बोले थे।
 
इन हमलों और हिंसा के दौरान सुरक्षाबलों की गोलीबारी में नौ कश्मीरियों की मौत हो गई थी। बीसियों जख्मी हुए थे। पर कश्मीर का उबाल ठंडा नहीं हुआ। दरअसल सीमा पार बैठे आतंकियों और पत्थरबाजों के आका नहीं चाहते कि कश्मीर शांत हो। इस बार उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नेस्तनाबूद करने की खातिर जो पत्थरबाजों को उकसाया तो उनके द्वारा लगाई गई आग में कश्मीर अभी भी झुलस रहा है।
 
नौ दिनों के बाद भी कश्मीर में हिंसा का महौल जारी है। शायद ही कोई हिस्सा ऐसा होगा जो हिंसा और पत्थरबाजों से अछूता रहा होगा। हालांकि हिंसा में आती तेजी के बाद राज्य सरकार ने उन 30 हजार से अधिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों को वापस भिजवाने से मना कर दिया है जिन्हें चुनाव ड्यूटी सौंपी गई थी और अब केंद्रीय गृहमंत्रालय देश के अन्य भागों में उनकी तैनाती की खातिर उनकी वापसी की मांग कर रहा है।
 
राज्य सरकार उन खुफिया रिर्पोटों का हवाला दे रही है जिसमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के इशारों पर पत्थरबाज इस बार की गर्मियों को भयानक से भयानक स्थिति में पहुंचा देना चाहते हैं। उनके निशाने पर अमरनाथ यात्रा भी है। यही नहीं कश्मीर आने वाले पर्यटक भी अब पत्थरबाजांे के निशाने बनने लगे हैं।
 
एक अधिकारी के बकौल, पत्थरबाजों के इरादों से निपटने की खातिर सेना को तैनात नहीं किया जा सकता। इसके लिए राज्य पुलिस या केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसी फोर्स की ही आवश्यकता है। उनका कहना था कि केंद्र से आग्रह किया गया है फिलहाल जवाब की प्रतीक्षा है।
 
सुरक्षाबलों की वापसी को लेकर चाहे राज्य सरकार कंेद्र के जवाब की प्रतीक्षा कर रही हो पर पत्थरबाज किसी प्रकार का इंतजार किए बिना कश्मीर को दोजख में धकेल रहे हैं। पिछले तीन दिनों से कश्मीर के हर भाग को पत्थरबाजी का स्वाद चखा देने वाले पत्थरबाजों को रोकने की खातिर हालांकि फेसबुक और व्हाट्सएप को नकेल डालने की कवायद तेज हो चुकी है लेकिन लगता नहीं है कि इसमें कामयाबी मिल पाएगी क्योंकि ऐसा करने के लिए इंटरनेट प्रतिबंधित करना पड़ता है और इंटरनेट प्रतिबंधित करने का अर्थ होगा कश्मीर में सभी प्रकार की गतिविधियों को ठप कर देना जिसका विरोध भी हो रहा है।

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