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पॉज़िटिव रहें, रिश्तों को जिएं

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कई बार आप परिस्थितिवश या अन्य कारणों के चलते नकारात्मक मानसिकता का शि‍कार हो जाते हैं, जिसका आपके दिलो-दिमाग पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। यही नहीं आपके आसपास के लोगों व उनकी मानसिकता पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। क्योंकि यह नकारात्मकता आपके विचार और व्यवहार में साफ तौर पर दिखाई देती है और आपके जरिये आपके अपनों तक पहुंचती है। कुलमिलाकर हम अपना और अपनों का नुकसान ही करते है। इसीलिए जरूरी है, कि ऐसी परिस्थितियों से बचा जाए। 

ऐसी बातों को अपने दिल व दिमाग में जगह ही न दें, जो आपकी मानसिकता को विकृत करती हों और आपकी छवि को आपके अपनों के बीच में खराब करती हो। जब भी ऐसी स्थि‍ति निर्मित हों, खुद पर नियंत्रण रखना सीखें। यकीन मानिये ये सबसे बड़ी कला है।खुद के दिमाग को नकारात्मक बातों से दूर रखें और दिमाग में उपज रहे विचारों को सकारात्मकता की ओर ले जाए।
 
अगर आपके सामने कुछ गलत हो रहा है, तो यह जरूरी नहीं, कि‍ जो दिखाई दे रहा हो वही वास्तविकता हो। कई बार वास्तविकता और हमारी सोच में अंतर होता है, जो मन में अविश्वास की भावना बन कर उपजता है। वही अविश्वास खीज चिड़चिड़ेपन और गुस्से के रूप में बाहर निकलता है,जो आपके अपनों पर विपरीत प्रभाव डालता है और आपकी छवि पर भी।
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खास तौर पर तब, जब आपके मन में चल रहे विचार आपका वहम् मात्र हों और सच्चाई उससे कोसों दूर हो। कभी कभी ऐसे में आप अपने सबसे करीबी लोगों को भी खो सकते हैं। इसलिए बेहतर है, कि अपने दिमाग को समझाऐं... उससे बात करें अपने मन को यह समझाने का प्रयास करें, कि दिमाग की इन गति‍विधि‍यों का आखि‍र कारण क्या है। उस कारण को खोज कर उस पर काम करना चाहिए। 
 
अपने मन को विश्वास दिलाऐं ...जी हां, सकारात्मकता का विश्वास। इससे किसी का भला या बुरा हो न हो आपको जरूर फायदा होगा। सकारात्मकता का यह विश्वास आपके दिमाग के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है, और जब इसके सकारात्मक असर आप अपनी आंखों के सामने पाते हैं, तो यह हर परिस्थिति में आपके लिए बेहतर होता है।

दुनिया में जो जैसा हो रहा हो होने दें। जब त‍क आप नहीं जानते, कि वास्तवि‍कता क्या है, अपनी मानसिकता को विकृत न होने दें। बस धैर्य रखें.... विश्वास रखें, सकारात्मकता का और बस शांत रहें। किसी निर्णय पर न पहुंचें। खुद को और अपनों को विश्वास और सकारात्मकता का तोहफा दें, न कि नकारात्मक चीजों का। क्योंकि प्रकृति का नियम है, कि  जो दिया जाता है,  वही लौट कर आता है। इसीलिए, प्रेम दीजिए प्रेम ही लौट कर आएगा ।

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