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सबसे बड़ी हनुमान की अद्भुत मूर्ति

- दीपाली श्रीवास्तव

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भारतवासियों के मानवीय कल्पना में रामभक्त और पवनपुत्र हनुमान का रूप अति विराट छाया रहता है। हमारी फिल्मों और रामायण व हनुमान पर केंद्रित धारावाहिकों ने भी उनके ऐसे ही रूप जनमानस के मस्तिष्क में उतारे हैं, लेकिन अभी तक इस रूप को मूर्ति के साँचे में नहीं ढाला गया था। अब इस पुण्य कार्य को आकार दिया जा रहा है और बहुत जल्द यह पूरा हो जाएगा।

गौरतलब है कि यह भारत की पहली सबसे बड़ी हनुमान प्रतिमा है। संकटमोचन की यह प्रतिमा गालव ऋषि की भूमि (ग्वालियर) में आकार ले रही है। इसे इंदौर के पितृ पर्वत पर दीपावली के बाद हनुमान जयंती पर स्थापित किया जाएगा। इस मूर्ति का वजन 90 टन और ऊँचाई 128 फुट है।

विजयवर्गीय ने कहा कि पवनपुत्र हनुमान की मूर्ति स्थापित करने का उद्देश्य लोगों की आस्था है, साथ ही शहर की खुशहाली के लिए यह पुण्य कार्य किया जा रहा है। भारत की सबसे बड़ी मूर्ति इंदौर में स्थापित होगी, तो शहर आकर्षण का केंद्र बनेगा, साथ ही पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

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मूर्तिकार प्रभात राय, सहयोगी कलाकार रामबहादुर पंडित, अवतार सिंह, बालाराम कुशवाह व देवेंद्र ओझा पिछले 2 साल से इस पुण्य कार्य को अंजाम देने में जुटे हैं। प्रतिमा का निर्माण करने में अब तक करीब छ: करोड़ खर्च हो चुके हैं। पूर्ण आकार देने में लगभग 3 करोड़ की लागत और लगेगी।

मूर्तिकार प्रभात राय के अनुसार- मैं यूँ तो पहले भी कई विशाल प्रतिमाएँ देशभर में स्थापित कर चुका हूँ, लेकिन भगवान हनुमान की इस मूर्ति को बनाने का आनंद ही अलग है। सुबह नौ से रात 11 बजे तक अनवरत काम करने के बाद भी हमें कभी थकान महसूस ही नहीं होती। यह मूर्ति बनने के बाद देश की सबसे विशाल प्रतिमा होगी, जिसे इंदौर में स्थापित किया जाएगा।

रामकाज लगि तव अवतारा।
सुनतहिं भयउ पर्वताकारा॥

रामभक्त हनुमान की यह प्रतिमा अत्यंत विशाल है। 128 फुट ऊँची इस प्रतिमा का निर्माण सोना, चाँदी, प्लेटिनम, पारा, एंटीमनी, जस्ता, सीसा और रांगा अर्थात अष्टधातु से इसका निर्माण किया जा रहा है, जिसे अभिषेक की दृष्टि से सर्वोत्तम माना जाता है। ग्वालियर में आकार ले रही यह प्रतिमा इस दीपावाली के बाद हनुमान जयंती के पावन-पर्व पर भव्य समारोह के साथ इंदौर के 'पितृ पर्वत' पर स्थापित की जाएगी।

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