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'सेंट मैरी चर्च मुट्टम' की दैवीय 'मदर'

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- शशिमोह
क्रिसमस वह पावन दिन है, जब मदर मैरी के गर्भ से प्रभु की संतान यीशु का जन्म हुआ था। इस दिन पूरे विश्व में प्रभु पुत्र यीशु की प्रार्थना उनकी माँ मदर मैरी के साथ की जाती है, इसलिए क्रिसमस के पर्व पर ‘वेबदुनिय’ आपके लिए लाया है केरल का ऐतिहासिक चर्च। यह चर्च प्रभु यीशु की माँ मदर मैरी के सम्मान में बनाया गया था।
फोटो गैलरी देखने के लिए क्लिक करें-

  1023 ईस्वी में बनाया गया यह चर्च लगभग 900 साल पुराना है। इस चर्च का स्थापत्य पुर्तगाली शैली में बना हुआ है। चर्च के अंदर स्थापित मदर मैरी औऱ अमलोलभव माता की मूर्ति फ्रांस से मँगवाई गई थी। मूर्ति में मदर मैरी के अद्भुत स्वरूप का उकेरा गया है।      
इस चर्च को चिरथल्ला मुट्टम सेंट मैरी फैरोना चर्च के नाम से जाना जाता है। चिरथल्ला एक छोटा शहर है, जो केरल के एलापुजा नामक जिले में आता है। प्राचीन समय में यह शहर केरल के मुख्य व्यापारिक केंद्रों में से एक था। माना जाता है कि इस शहर को ज्यूस लोगों ने बसाया था

कहते हैं कि सबसे पहले संत थामस केरल में यीशु के संदेशों का प्रचार-प्रसार करने आए थे। उन्होंने ही सबसे पहले केरल में सात चर्चों की स्थापना की थी। उसके बाद ईसाई धर्म में विश्वास करने वाले लोगों की संख्या बढ़ने लगी और उन्होंने आसपास के क्षेत्रों में भी चर्च स्थापित कर लिए। चिरथल्ला में बनाया गया मुट्टम चर्च उनमें से ही एक है।

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सेंट मैरी मुट्टम चर्च मदर मैरी के उन चुनिंदा चर्चों में से एक है, जहाँ हर धर्म के लोग मदर मैरी की पूजा अर्चना करने आते हैं। मान्यता है कि चर्च में स्थापित अमलोलभव माता अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं। उन्हें दुःख-दर्द से दूर रखती हैं।

यहाँ के लोग चाहे वे किसी भी धर्म से संबंध रखते हों, अपने हर नए काम की शुरुआत करने से पहले चर्च आकर मदर मैरी से अपने काम को सफल करने की प्रार्थना करते हैं। किसी बच्चे की तरह अपनी हर खुशी और गम को बाँटने के लिए माँ के दर पर चले आते हैं। यहाँ के लोगों का मानना है कि होली मदर उनके और ईसा मसीह के बीच एक अच्छी मध्यस्थ की भूमिका निभाती हैं और उनकी हर इच्छा को यीशु तक पहुँचाती हैं।

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मदर मैरी को वर्जिन मैरी माना जाता है। यह बात सबसे पहले पोप छठे ने कही थी। मदर मैरी का जन्म दिवस आठ दिसंबर को माना जाता है। मुट्टम चर्च में आठ दिसंबर के बाद आने वाले पहले रविवार को मदर मैरी के जन्म का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा दूसरा मुख्य फीस्ट 8 जनवरी के दिमुट्टम चर्च में मनाया जाता है। मदर मैरी और जीजस क्राइस्ट की मूर्तियों का जुलूस निकाला जाता है।

मदर मेरी या मरियम को मानवता की देवी माना जाता है। यहाँ के लोगों का मानना है कि वे माँ हैं, प्रभु यीशु और हमारे बीच की कड़ी। माँ जैसे अपने बच्चों का भला करती हैं, वैसे ही मदर मैरी भी सबका ख्याल रखती हैं, इसलिए यहाँ केवल ईसाई ही नहीं, बल्कि हर धर्म के अनुयायी आते हैं।

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