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बड़े-बड़े विश्वास, अधिक से अधिक चमत्कार...

सत्य साँईबाबा

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आई. वेंकटेश्वर राव

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बड़े-बड़े विश्वास, अधिक से अधिक चमत्कार...
हाथों से शिवलिंग निकालने का दावा...
ये हैं प्रशांति निलयम के भगवान सत्य साँईबाबा...
आस्था और अंधविश्वास की कड़ी में हम आपके समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे हैं आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले के प्रशांति निलयम में निवास करने वाले सत्य साँईबाबा, जिनकी लोकप्रियता न सिर्फ भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विद्यमान है।
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सत्य साँईबाबा से जुड़े कई विश्वास व धारणाएँ हैं। इनके श्रद्धालुओं का मानना है कि वे श्रद्धालुओं के दु:ख-दर्द ग्रहण करके उनकी तकलीफें हरते हैं। प्रतिदिन भभूत, कभी भोज्य पदार्थों, तो कभी आभूषणों को प्रकट करके तरह-तरह के चमत्कार करते हैं। उनके चमत्कारों से जुड़ी कई अनुश्रुतियाँ सुनने में आती रहती हैं।
  सत्य साँईंबाबा के अनुसार वस्तुओं को प्रकट करना आध्यात्मिक संरचना का ही परिचायक है, साथ ही उन्होंने परीक्षा के लिए चमत्कारों को करने से साफ मना कर दिया। वहीं कुछ आलोचकों का मानना है कि बाबा के ये चमत्कार मात्र हाथ की सफाई हैं।      


जैसे भौतिक रूप से अंतर्ध्यान, ग्रेनाइट पत्थर का मिश्री में परिवर्तन, जल का किसी और पेय पदार्थ में परिवर्तन, मनचाही वस्तुओं को प्रकट कर देना, कपड़ों के रंग बदल देना, वस्तुओं को परिवर्तित कर देना, चमत्कारी प्रकाश फैलाना आदि बाबा के कितने ही चमत्कारों का दावा उनके भक्त करते हैं।

सत्य साँईबाबा के अनुसार उनके द्वारा वस्तुओं को प्रकट करना उनकी आध्यात्मिक संरचना का ही परिचायक है, मगर साथ ही उन्होंने परीक्षा के लिए अपने इन चमत्कारों को करने से साफ मना कर दिया। वहीं कुछ आलोचकों का मानना है कि बाबा के ये चमत्कार मात्र हाथ की सफाई हैं।

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कुछ भारतीय पत्रिकाओं ने बाबा से जुड़ी इन किंवदंतियों को चमत्कार का रूप दिया, तो कभी छल-कपट का नाम दिया। कई बार बाबा को धूर्त की संज्ञा दी गई। कुछ लोगों ने स्वर्ण नियंत्रण एक्ट के तहत बाबा पर स्वर्ण के भौतिकीकरण का आरोप लगाया था, पर इस मुकदमे को आध्यात्मिक आधार पर खारिज कर दिया गया।

अक्टूबर 2007 में बाबा ने घोषणा की थी कि वे चंद्रमा पर प्रकट होने वाले हैं और श्रद्धालुओं को उनके साथ स्थानीय हवाई अड्डे तक उनका अनुसरण करने का निवेदन किया। मगर चंद्रमा पर बादलों के घिर जाने के कारण बाबा यह चमत्कार करने में असमर्थ रहे और एक घंटे तक इंतजार करने के पश्चात उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा।

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निराश श्रद्धालुओं के आक्रोश को बहुत मुश्किल से रोका जा सका। वहीं दूसरी ओर कुछ बुद्धिजीवियों ने दावा किया कि बाबा सिर्फ लोकप्रियता बढ़ाने के लिए इस चमत्कार का दावा कर रहे थे। इसके जवाब में बाबा ने सिर्फ इतना ही कहा कि ‘मैं ईश्वर हूँ और आप लोग भी ईश्वर हैं। मुझमें और आप लोगों में अंतर मात्र इतना है कि मैं इस तथ्य को जानता हूँ और आप लोग नहीं जानते हैं’आप इस विषय पर क्या सोचते हैं?

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