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क्या है ये रिश्ता

इस रिश्ते को दो नया नाम

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गायत्री शर्मा

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किसी के आते ही अचानक धड़कनों का तेज हो जाना, किसी के इंतजार में घंटों बैठे रहना, किसी के स्पर्श मात्र से ही जीवित हो उठना .... क्या सचमुच यही प्यार है। यदि सच कहें तो यह प्यार के प्राथमिक लक्षण है।

'प्यार' वही होता है जो आपको पूरी तरह से बदल कर दे। आप जो नहीं करते हो, वो आप करने लग जाए, आपको जो नापसंद हो वो आपकी पसंद बन जाए। प्यार में तो अक्सर ऐसा ही होता है।

  प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है।      
कल तक हमारे समाज में प्यार को 'हव्वा' माना जाता था, जिसके डर से माँ-बाप अपने बच्चों को विवाह के बंधन में बाँध देते थे परंतु ऐसा करते वक्त वो यह भूल जाते थें कि प्यार तो वो सैलाब है तो परिवार व समाज की मर्यादाओं के बाँध को तोड़कर भी प्रस्फुटित हो उठता है।

यह वो रिश्ता है, जिसे किसी शाब्दिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। इसका तो अहसास मात्र ही आपके जीवन को बदलने के लिए काफी है।

प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है।

यदि किसी ने प्यार किया है तो उसने कोई गुनाह नहीं किया। जब तक समाज प्यार को गुनाह या गलती समझता रहेगा, तब तक प्रेमी बदनाम होते रहेंगे। क्यों न आज ही से अपनी सोच को विस्तृत करके इस रिश्ते को नया नाम व नई पहचान दी जाए।

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