Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

इन 13 सुगंध से पाएं जीवन में सुख और समृद्धि

हमें फॉलो करें इन 13 सुगंध से पाएं जीवन में सुख और समृद्धि

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म में सुगंध का बहुत महत्व माना गया है। वह इसलिए कि सात्विक अन्न से शरीर पुष्ट होता है तो सुगंध से सूक्ष्म शरीर। यह शरीर पंच कोष वाला है। जड़, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद। सुगंध से प्राण और मनोमय कोष पुष्ट होता है। इसलिए जिस व्यक्ति के जीवन में सुगंध नहीं उसके जीवन में शांति भी नहीं। शांति नहीं तो सुख और समृद्धि भी नहीं।
परंपरागत सुगंध को छोड़कर अन्य किसी रासायनिक तरीके से विकसित हुई सुगंध आपकी सेहत और घर के वातावरण को नुकसान पहुंचा सकती है। सुगंध के चमत्कार से प्राचीनकाल के लोग परिचि‍त थे तभी तो वे घर और मंदिर आदि जगहों पर सुगंध का विस्तार करते थे। यज्ञ करने से भी सुगंधित वातावरण निर्मित होता है।
बहुत से लोग घर में मच्छर मारने की दवा छिड़कते हैं या कोई बाजारू प्रॉडक्ट जलाते हैं। यह एक ओर जहां आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है, वहीं यह आपके घर के वातावरण को बिगाड़कर वास्तुदोष निर्मित भी कर सकता है। हालांकि मच्छरदानी इसका अच्छा विकल्प हो सकता है। 
 
हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसी 13 तरह की सुगंधों के बारे में, जो आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि ला सकती है। एक छोटी सी सुगंध आपकी मानसिकता बदलकर आपका भाग्य बदलने की क्षमता रखती है। उपाय छोटा है लेकिन बहुत ही असरकारक और चमत्कारिक है। इस बार हम आपको सबसे उत्तम सुगंध के बारे में अंत में बताएंगे। उल्लेखनीय है कि बहुत से लोगों को तेज सुगंध से एलर्जी भी रहती है। हालांकि हम ऐसी किसी भी प्रकार की सुगंध के बारे में नहीं बताएंगे।
 
उल्लेखनीय है कि केसर, अगर, तगर, चंदन, इलायची, जायफल, जावित्री आदि सुगंधित पदार्थ हैं। घृत, फल, कंद, अन्न, जौ, तिल, चावल आदि पुष्टिकारक पदार्थ हैं। शकर, छुहारा, दाख, काजू आदि मिष्ट पदार्थ है। गिलोय, जायफल, जटामासी, सोमवल्ली आदि रोगनाशक पदार्थ माने गए हैं।
 
अगले पन्ने पर पहली चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
गुलाब : गुलाब के इत्र से शायद दुनिया की हर संस्कृति वाकिफ है। गुलाब बहुत ही गुणकारी फूल है, लेकिन केवल देशी गुलाब, जो सिर्फ गुलाबी और लाल रंग का होता है और जो बहुत ही खुशबूदार होता है। गुलाब का इत्र लगाने से देह के संताप मिट जाते हैं।
 
इन फूलों का गुलकंद गर्मी की कई बीमारियों को शांत करता है। गुलाब जल से आंखों को धोने से आंखों की जलन में आराम मिलता है। गुलाब का इत्र मन को प्रसन्नता देता है। गुलाब का तेल मस्तिष्क को ठंडा रखता है और गुलाब जल का प्रयोग उबटनों और फेस पैक में किया जा सकता है।
 
अगले पन्ने पर दूसरी मदहोश करने वाली सुगंध...
 

चंदन की सुगंध : चंदन की अगरबत्ती न जलाएं। हम यहां चंदन की अगरबत्ती की सुगंध की बात नहीं कर रहे हैं। पूजन सामग्री वाले के यहां चंदन की एक बट्टी या टुकड़ा मिलता है। उस बट्टी को पत्थर के बने छोटे से गोल चकले पर घिसा जाता है।
webdunia
प्रतिदिन चंदन घिसते रहने से घर में सुगंध का वातावरण निर्मित होता है। सिर पर चंदन का तिलक लगाने से शांति मिलती है। जिस स्थान पर प्रतिदिन चंदन घीसा जाता है और गरूड़ घंटी की ध्वनि सुनाई देती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है।
 
चंदन के प्रकार : हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।
 
सीक्रेट : भीनी-भीनी और मनभावन खुशबू वाले चंदन को न सिर्फ इत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है बल्कि इसके तेल को गुलाब, चमेली या तुलसी के साथ मिलाकर उपयोग करने से कामेच्छा भी प्रबल होती है। 
 
अगले पन्ने पर तीसरी सुगंध...
 

केसर की सुगंध : केसर का तिलक भी लगाया जाता है और इसे खाया भी जाता है। यह एक सुगंधित और औषधीय पौधा होता है जिसके फूल में से लाल रंग के समान लंबी-लंबी लचीली छोटी डंडियां निकलती हैं जिसे 'केसर' कहा जाता है। 'आइरिस' परिवार का यह सदस्य लगभग 80 प्रजातियों में विश्व के विभिन्न भू-भागों में पाया जाता है। केसर सच में एक अनमोल वनस्पति एवं अद्भुत औषधि है।
webdunia
केसर का उपयोग : 'केसर' खाने में कड़वा होता है, लेकिन खुशबू के कारण इसे विभिन्न व्यंजनों एवं पकवानों में डाला जाता है। इसके अलावा इसका तिलक भी लगाया जाता है। चंदन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शांति और ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बंद हो जाता है और सिरदर्द दूर होता है।
 
अगले पन्ने पर चौथी सुगंध...
 

कर्पूर और अष्टगंध : कर्पूर अति सुगंधित पदार्थ होता है तथा इसके दहन से वातावरण सुगंधित हो जाता है। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं। हिन्दू धर्म में संध्यावंदन, आरती या प्रार्थना के बाद कर्पूर जलाकर उसकी आरती लेने की परंपरा है।

webdunia
पूजन, आरती आदि धार्मिक कार्यों में कर्पूर का विशेष महत्व बताया गया है। रात्रि में सोने से पूर्व कर्पूर जलाकर सोना तो और भी लाभदायक है। इसके अलावा प्रतिदिन घर में अष्टगंध की सुगंध भी फैलाएं। बाजार से अष्टगंध का एक डिब्बा लाकर रखें और उसे देवी और देवताओं को लगाएं।
 
घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत‍ महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं, तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा। रात्रि में सोने से पहले पीतल के बर्तन में घी में भीगा हुआ कर्पूर जला दें। इसे तनावमुक्ति होगी और गहरी नींद आएगी
 
अगले पन्ने पर पांचवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
मोगरा : यह फूल भी खुशबूदार होता है। इसके फूल का भी इत्र बनता है। जल के किसी पात्र में इसके फूलों को रखने से घर का वातावरण सुगंधित रहता है। इसका इत्र लगाने से मन और मस्तिष्क शांत हो जाता है। मोगरा गर्मी में खिलता है और इसके फूलों को अपने पास रखने से पसीने की दुर्गंध नहीं आती है।
 
गले पन्ने पर छठी चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
केवड़ा : केवड़ा एक बेहतरीन खुशबू का फूल है। इसके इत्र की तासीर ग्रीष्म में तन को शीतलता प्रदान करती है। केवड़े के पानी से स्नान करने से शरीर की जलन व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलता है। गर्मियों में नित्य केवड़ायुक्त पानी से स्नान करने से शरीर में शीतलता बनी रहती है।
 
अगले पन्ने पर सातवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
गुग्गुल की सुगंध : गुग्गुल एक वृक्ष का नाम है। इससे प्राप्त लार जैसे पदार्थ को भी 'गुग्गल' कहते हैं। इसका उपयोग सुगंध, इत्र व औषधि में भी किया जाता है। इसकी महक मीठी होती है और आग में डालने पर वह स्थान सुंगध से भर जाता है। गुग्गल की सुगंध से जहां आपके मस्तिष्क का दर्द और उससे संबंधित रोगों का नाश होगा वहीं इसे दिल के दर्द में भी लाभदायक माना गया है। 
 
घर में साफ-सफाई रखते हुए पीपल के पत्ते से 7 दिन तक घर में गौमूत्र के छींटे मारें एवं तत्पश्चात शुद्ध गुग्गल की धूप जला दें। इससे घर में किसी ने कुछ कर रखा होगा तो वह दूर हो जाएगा और सभी के मस्तिष्क शांत रहेंगे। हफ्ते में 1 बार किसी भी दिन घर में कंडे जलाकर गुग्गल की धूनी देने से गृहकलह शांत होता है।
 
अगले पन्ने पर आठवीं सुगंध...
 
webdunia
लोबान की सुगंध : लोबान का वृक्ष होता है। लोबान की सुगंध का इस्तेमाल अक्सर दर्गा और समाधियों पर किया जाता है। इसका इस्तेमाल लेबनानवासी करते थे। बाद में यह ईरान होते हुए भारत आ गया। अगरबत्ती, धूप और हवन सामग्री के निर्माण में लोबान का प्रयोग होता है। लोबान को सुलगते हुए कंडे या अंगारे पर रख कर जलाया जाता है।
 
लोबान दरअसल एक किस्म की राल या वृक्ष से निकलने वाला पारदर्शी स्राव है जो सूख कर सफेद या पीली आभा वाले छोटे-छोटे पिण्डों में रूपांतरित हो जाता है। इसे हवन, पूजन के दौरान या अन्य आयोजनों में सुगंधित वातावरण बनाने के लिए जलाया जाता है। इसके धुएं से माहौल महक उठता है।
 
लोबान का प्रयोग दवा के रूप में भी होता है। लोबान से दर्दनाक गठिया के इलाज में मदद मिल सकती हैं। इसका उपयोग प्रायः सिरदर्द की दवा बनाने में होता रहा है। लोबान का तेल काफी लाभकारी होता है। इससे शरीर को आराम, राहत और मूड को शांति मिलती है।
 
अगले पन्ने नौवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
मेंहदी की सुगंध : इसे हिना भी कहते हैं। अधिकतर घरों के सामने की बाटिका अथवा बागों में इसकी बाड़ लगाई जाती है जिसकी ऊंचाई आठ दस फुट तक हो जाती है और यह झाड़ी का रूप धारण कर लेती है। हालांकि आजकल यह शहरों से गायब हो गई है। ऐसे सभी पौधे और वृक्ष गायब हो गए हैं जिनके फूल, फल या औषधि को बेचकर बाजार से मुनाफा कमाया जाता है।
 
मेंहदी पत्तियों को पीसकर भी रख लिया जाता है, जिसे गरम पानी में मिलाकर रंग देने वाला लेप तैयार किया जा सकता है। इसकी छोटी चिकनी पत्तियों को पीसकर एक प्रकार का लेप बनाते हैं, जिसे स्त्रियां श्रंगार हेतु नाखून, हाथ, पैर तथा अंगुलियों लगाती है। इस पौधे की छाल तथा पत्तियों का उपयोग दवा बनाने में किया जाता है। इसका इत्र भी बनता है जो हिना नाम में बाजार में मिलता है। मेंहदी की बाढ़ लगाने से घर में सुगंधित वातावरण तो रहता ही है साध ही इसके और भी कई लाभ मिलते रहते हैं।
 
अगले पन्ने पर दसवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
चमेली और चम्पा की सुगंध : चमेली और चम्पा की सुगंध में फर्क है। चमेली की बेल होती है और पौधा भी जबकि चम्पा का छोटा-सा वृक्ष होता है। चमेली को संस्कृत में 'सौमनस्यायनी' और अंग्रेजी में 'जेस्मीन' कहते हैं। चमेली के फूल आंगन में सुबह-सुबह बिछ जाते हैं तो घर और परिवार भी खुशियों से भर जाता है। चमेली के पत्ते हरे और फूल सफेद रंग के होते हैं, लेकिन किसी-किसी स्थान पर पीले रंग के फूलों वाली चमेली की बेलें भी पाई जाती हैं। उसी तरह चम्पा के फूल आगे से सफेद और जड़ से पीले होते हैं। खुशबू से भरे ये फूल बेहद नाजुक होते हैं। 
 
चमेली और चम्पा का इत्र और तेल बाजार में मिलता है। चमेली के तेल में ही सिंदूर को मिलाकर हनुमानजी को चढ़ाया जाता है। चम्पा 3 रंगों सफेद, लाल और पीले में पाया जाता है। पीले रंग की चम्पा को स्वर्ण चम्पा कहा जाता है और ये बहुत ही कम नजर आता है। इसके अलावा नाग, सुल्तान और कटहरी नामक चम्पा होती है।
 
सदियों से चले आ रहे इत्र की सुगंध को वर्तमान समय में बाजारों में आए डियोड्रेंट व परफ्यूम ने कम कर दिया है। इन कृत्रिम सुगंधों से लाभ नहीं मिलने वाला है। डियोड्रेंट्स की तेज और केमिकल मिली खुशबू असहनीय होती है। प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाले इत्र सुगंध के अलावा शरीर के लिए भी फायदेमंद हैं। 
 
अगले पन्ने पर ग्यारहवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
खसखस (KhusKhus) : खस या खसखस एक सुगंधित पौधा है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवीरिआ (Vetiveria) है जिसकी व्युत्पत्ति तमिल के शब्द 'वेटिवर' से हुई प्रतीत होती है। इस पौधे की जड़ों का उपयोग विशेष प्रकार का पर्दा बनाने में होता है जिसे ‘खस की टाट’ कहते हैं, जो अक्सर गर्मियों में लगाई जाती है। इससे कमरे में सुगंधित वायु आती है जिसमें मन और मस्तिष्‍क को ठंडक मिलती है। 
 
खसखस के दाने का घी में तर हलवा बनाया जाता है, जो ताकत के लिए अत्यंत ही लाभदायक होता है। खस की जड़ों से हाथ पंखे, टोकरी, जेवर आदि भी बनाए जाते हैं। इसका उपयोग आयुर्वेद में एक औषधि के रूप में होता है। इसकी जड़ों में सुगंध होती है तथा इनसे तेल निकाला जाता है। खस का तेल इत्र उद्योग का प्रमुख कच्चा पदार्थ है। उसका उपयोग सुगंधित प्रसाधन सामग्री एवं साबुन को सुगंधित बनाने में होता है।
 
अगले पन्ने पर बारहवीं चमत्कारिक सुगंध...
 
webdunia
गुड़-घी की सुगंध : इसे धूप सुगंध या अग्निहोत्र सुगंध भी कह सकते हैं। गुरुवार और रविवार को गुड़ और घी मिलाकर उसे कंडे पर जलाएं। चाहे तो इसमें पके चावल भी मिला सकते हैं। इससे जो सुगंधित वातावरण निर्मित होगा, वह आपके मन और ‍मस्तिष्क के तनाव को शांत कर देगा। जहां शांति होती है, वहां गृहकलह नहीं होता और जहां गृहकलह नहीं होता वहीं लक्ष्मी वास करती हैं।
 
अगले पन्ने पर तेरहवीं चमत्कारिक सुगंध
 

रातरानी: इसके फूल रात में ही खिलकर महकते हैं। एक टब पानी में इसके 15-20 फूलों के गुच्छे डाल दें और टब को शयन कक्ष में रख दें। कूलर व पंखे की हवा से टब का पानी ठंडा होकर रातरानी की ठंडी-ठंडी खुशबू से महकने लगेगा।
webdunia
सुबह रातरानी के सुगंधित जल से स्नान कर लें। दिनभर बदन में ताजगी का एहसास रहेगा व पसीने की दुर्गंध से भी छुटकारा मिलेगा। रातरानी की सुगंध से सभी तरह की चिंता, भय, घबराहट आदि सभी मिट जाती है। सुगंध में इसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। अधिकतर लोग इसे अपने घर आंगन में इसलिए नहीं लगाते हैं क्योंकि यह सांप को आकर्षित करती है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi