Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

श्रीराम की खर-दूषण के साथ हुए युद्ध की सही तारीख, जानिए...

हमें फॉलो करें श्रीराम की खर-दूषण के साथ हुए युद्ध की सही तारीख, जानिए...
, शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2016 (00:02 IST)
रामायण में उल्लेखित घटनाओं को वाल्मीकिजी ने उस काल में ग्रह नक्षत्रों के आधार पर तिथिबद्ध किया था। उन्होंने प्रत्येक घटना का जिक्र करते हुए उसके साथ उस काल की आकाशीय स्थिति का भी जिक्र किया है। इसी आधार पर वैज्ञानिकों की एक शोध संस्था आई सर्व ने उन आकाशीय स्थिति पर शोध कर यह जाना की यह स्थिति कब और किस काल में बनी थी।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार वनवास के 13वें साल के मध्य में श्रीराम का खर-दूषण नामक राक्षस के साथ युद्ध हुआ था। उस समय सूर्यग्रहण लगा था और मंगल ग्रहों के मध्य में था। जब इस तारीख के बारे में कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच की गई तो पता चला कि यह तिथि 7 अक्टूबर 5077 ईसा पूर्व (अमावस्या) थी। अर्थात आज (2016) से 7093 वर्ष पहले प्रभु श्रीराम का खर और दूषण के साथ युद्ध हुआ था।
 
इस दिन जो सूर्यग्रहण लगा उसे पंचवटी (20 डिग्री उत्तर 73 डिग्री पूर्व) से देखा जा सकता था। उस दिन ग्रहों की स्थिति बिल्कुल वैसी ही थी जैसी वाल्मीकि जी ने वर्णित की। मंगल ग्रह बीच में था। एक दिशा में बुध, शुक्र तथा बृहस्पति थे तथा दूसरी दिशा में चंद्रमा, सूर्य तथा शनि थे।
 
-संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)
 
अगले पन्ने पर खर और दूषण की वध कथा...
 

खर और दूषण, लंका के राजा रावण के सौतेले भाई थे। खर, पुष्पोत्कटा से और दूषण, वाका से ऋषि विश्रवा के पुत्र थे। जबकि रावण की माता का नाम कैकसी था। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक ऐसी जगह है जो खरौद नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं कि यहीं पर श्रीराम ने खर दूषण का वध किया था।
webdunia

खरौद सबरी तीर्थ शिवरीनारायण से 3 किमी एवं राजधानी रायपुर से लगभग 120 किमी की दूरी पर स्थित है। खरौद नगर में प्राचीन कालीन अनेक मंदिरों की उपस्थिति के कारण इसे छत्तीसगढ़ की काशी भी कहा जाता है। यहां के लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना भगवान राम ने खर और दूषण के वध के पश्चात भ्राता लक्ष्मण के कहने पर की थी। इसलिए इसे लक्ष्मणेश्वर मंदिर कहा जाता है। 
 
वायु पुराण के अलावा रामचरित मानस के अरण्यकाण्ड में खर और दूषण के वध की कथा मिलती है। जब लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा की नाक काट दी जाती है तो उसका बदला लेने के लिए पहले खर और फिर बाद में दूषण आता है। दोनों से श्रीराम का भयंकर युद्ध होता है और अंतत: दोनों मारे जाते हैं। खर की सेना की दुर्दशा के विषय में ज्ञात होने पर दूषण भी अपनी अपार सेना को साथ ले कर समर भूमि में कूद पड़ता है किन्तु श्रीराम ने अपने बाणों से उसकी सेना की भी वैसी ही दशा कर दी थी जैसा कि खर की सेना की की थी।
 
खर-दूषण का वध हो जाने पर खर के एक अकम्पन नामक सैनिक ने, जिसने किसी प्रकार से भागकर अपने प्राण बचा लिये थे, लंका में जाकर रावण को खर की सेना के नष्ट हो जाने की सूचना दी। रावण के समक्ष जाकर वह हाथ जोड़ कर बोला, 'हे लंकेश! दण्डकारण्य स्थित आपके जनस्थान में रहने वाले आपके भाई खर और दूषण तथा उनके चौदह सहस्त्र सैनिकों का वध हो चुका है। किसी प्रकार से अपने प्राण बचाकर मैं आपको सूचना देने के लिए आया हूं।'
 
यह सुन कर रावण ने कहा, 'कौन है जिसने मेरे भाइयों का सेना सहित वध किया है? मैं अभी उसे नष्ट कर दूंगा। तुम मुझे पूरा वृत्तान्त बताओ।' अकम्पन ने कहा, 'हे लंकापति! अयोध्या के राजकुमार राम ने अपने पराक्रम से अकेले ही सभी राक्षस वीरों को मृत्यु के घाट उतार दिया।' इस समाचार को सुनकर रावण को आश्चर्य हुआ और उसने पूछा, 'खर को मारने के लिए क्या देवताओं ने राम की सहायता की है?'
 
अकम्पन ने उत्तर दिया, 'नहीं प्रभो! देवताओं से राम को किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है, ऐसा उसने अकेले ही किया है।' यह सुनकर रावण घोर आश्चर्य और चिंता में मग्न हो गया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

तो क्या दो धन्वंतरि थे? अवश्य पढ़ें यह रोचक जानकारी