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ये है मुंबई मेरी जान

सपनों की नगरी : मुंबई

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- दीपक असीम

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मायानगरी मुंबई हर साल देशभर के सैकड़ों लोगों को आकर्षित करती है। रुपहले परदे पर अपना भविष्य बनाने के सपने लिए ये दिन-रात लगे रहते हैं कामयाबी के स्पर्श के इंतजार में। इस दौरान उनके प्रिय अड्डे भी उन्हें मिलने वाली टुकड़ा-टुकड़ा कामयाबी के साथ बदलते रहते हैं।

मुंबई का आदर्श नगर। अंधेरी वेस्ट का एक मुहल्ला। इसी आदर्श नगर में रहते हैं तरह-तरह के सपने लेकर मुंबई जाने वाले लोग जिन्हें स्ट्रगलर कहते हैं। यहीं क्यों? क्योंकि जगह की कमी के चलते मुंबई का ज्यादातर फिल्म उद्योग धीरे-धीरे अंधेरी वेस्ट में सिमट आया है।

दादा साहब फालके स्टूडियो गोरेगाँव ईस्ट में है, फिल्मिस्तान वेस्ट में है। डबिंग स्टूडियो भी इधर बहुत से हैं। आदर्श नगर और इसके आसपास बहुत से स्ट्रगलर साथ में रहते हैं। यानी एक फ्लेट किराए से लेकर चार-पाँच लोग मिलकर किराया देते हैं। लड़कियाँ भी यही करती हैं। आदर्श नगर चौराहे की चाय-पान की दुकान पर जाकर अगर आप आँख बंद करके भी एक पत्थर फेंकेंगे तो यकीनन वह किसी फिल्म वाले पर ही गिरेगा।

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चाचा की चाय की दुकान :-
भोजपुरी फिल्मों का तो पूरा धंधा ही यहाँ से चलता है। इसे भोजपुरी फिल्मों की राजधानी भी कहा जाता है। स्ट्रगलर लड़के-लड़कियों को भी भोजपुरी फिल्में करना रुचता है। कम से कम कैमरा फेस करना तो उन्हें आ ही जाता है। पैसे कम मिलते हैं पर मिलते तो हैं।

मुंबई में आदमी खुद को नहीं सपनों को जिंदा रखना चाहता है और सपनों के लिए आदर्श नगर की आबोहवा सबसे ज्यादा मुफीद है। यहाँ सबसे फटेहाल स्ट्रगलरों का अड्डा है चाचा की चाय की दुकान।
आदर्श नगर चौराहे के पीछे एक गली है। इस गली को मस्जिद वाली गली कहते हैं। यहाँ चाचा की चाय की दुकान पर दो-ढाई रुपए में कटिंग चाय मिलती है। आदर्श नगर के स्ट्रगलरों की जेब अक्सर खाली होती है और ऐसे में चाचा के यहाँ के चाय-बिस्किट से पेट की आग भी बुझ जाती है और दोस्त-यारों से चर्चा भी हो जाती है। अपने स्थानीय मददगार, फिल्म ब्रोकर बृजेश शर्मा के साथ जब ये नाचीज पहली बार चाचा की दुकान पर पहुँचा तो मुलाकात हुई गोपाल राघव से, जिन्होंने फिल्म "कोयला" में शाहरुख खान के बचपन का रोल किया था।

कोयला तो खैर पिटी ही, वे भी पिट गए। एक और फिल्म में वे शाहरुख के बचपन के रोल में थे। उनका दावा है कि शाहरुख उन्हें जानते हैं। गोपाल के पास एक कहानी है। बस, फाइनेंसर मिल जाए। कहानी है गाँवों में प्रेमियों पर अत्याचार करने वाली पंचायतों की। इस कहानी पर बनी फिल्म में छोटा-सा रोल करने के लिए बकौल गोपाल, शाहरुख राजी हैं। गोपाल ने सिंगल लाइन स्टोरी कहकर देर तक अपनी कहानी समझाने की कोशिश की, मगर वो क्या कहते हैं साहित्यिक भाषा में- उनकी कहानी में संप्रेषणीयता का अभाव था।

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कैफे शिमला : -
इससे आगे आदर्श नगर मेन रोड पर है कैफे शिमला। जब किसी स्ट्रगलर को किसी फिल्म में कोई छोटा-मोटा रोल मिल जाता है, पैसे ठीक-ठाक से मिल जाते हैं और चाय-बिस्किट खाने की मजबूरी नहीं रहती तो कैफे शिमला की तरफ रुख किया जाता है। जहाँ मुगलई खाना मिलता है।

जब हम लोग कैफे शिमला के बाहर खड़े थे, तब बीसियों लोगों ने बृजेश भाई से दुआ-सलाम की। सबसे मेरा परिचय बृजेश भाई ने यह कहकर कराया कि ये दीपक भाई हैं, फिल्म संपादक हैं। नईदुनिया इंदौर से आए हैं।

इतना सुनते ही बीसियों ने चाय की दावत दी और कहा, लिखिए हमारी फिल्म के बारे में कुछ। बीसियों ही या तो फिल्म प्रोड्यूसर थे, वितरक थे या कलाकार। अब मालवी-निमाड़ी फिल्म होती तो कुछ लिखना हो भी जाता, पर भोजपुरी...? खैर, जब तक हम खड़े रहे फिल्म से जुड़े लोग आते रहे। एक साहब ने मुझे सुबह फिल्म सिटी में देखा था। सो वे आ गए और कहने लगे कि वे जॉनी वॉकर के भतीजे होते हैं, नाम है जॉली वॉकर (या जाली वॉकर?)। मेरी आँखों में शंका देखकर कहने लगे कि मैं उनके कजिन का बेटा हूँ। मेरे वालिद का इंतकाल अभी जनवरी की अठारह को हुआ है।

श्रीजी रेस्तराँ :-
आदर्श नगर में रहने और न रहने वाले स्ट्रगलरों को जब इतना काम मिलने लगता है कि चाचा की चाय की दुकान और कैफे शिमला उन्हें घटिया लगने लगे, तो वे दो सड़क दूर ओशिवारा के एक रेस्तराँ श्रीजी में मिलने लगते हैं। यहाँ चाय १२ रुपए की है। यहाँ जब हम चाय पीने पहुँचे तो मिले फिल्म "ए वेडनसडे" के मुख्य विलेन काली मुखर्जी, एकता कपूर की महाभारत में विदुर बनने वाले सुधीर, पचासों धारावाहिकों और फिल्मों में दिखाई देने वाले रवि यादव और दिनेश पांडे।

इसके अलावा भी यहाँ बहुत से लोग आते हैं। ये तो केवल पंद्रह मिनट की कैफियत है। स्टूडियो वगैरह पास होने के कारण बहुत से छोटे स्टार भी इसी इलाके में रहते हैं । राखी सावंत का फ्लैट इधर है, राजू श्रीवास्तव भी इधर ही पाए जाते हैं। जो बड़े सितारे हैं, वे भी कभी न कभी जरूर यहाँ आए हैं और चाचा की दुकान पर न सही, उन्होंने श्रीजी पर चाय जरूर पी है।

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बरिस्ता और कैफे कॉफी डे :-
यहाँ से पचास कदम दूर है लोखंडवाला। यहाँ बरिस्ता और कैफे कॉफी डे के आउटलेट हैं। जो कलाकार और ज्यादा आगे बढ़ जाते हैं वे कैफे कॉफी डे और बरिस्ता में जाने लगते हैं। लोखंडवाला में कैफे कॉफी डे अजय देवगन की जमीन पर है और देवगन परिवार को किराया मिलता है। यहाँ पर १५-२० मिनट के भीतर मिला तो कोई नहीं, मगर यह सबने कहा कि सितारों का यहाँ आना-जाना राज की बात है।

मॉडलिंग भी यहीं से :-
ओशिवारा में जिस बिल्डिंग में श्रीजी रेस्तराँ है, उसी में बीसियों ऐसे स्टूडियो हैं, जिनमें ऑडिशन होते रहते हैं। ये स्टूडियो विज्ञापन एजेंसियाँ किराए पर लेती हैं और मॉडलिंग के इच्छुकों को वहीं पर बुलाती हैं। दिनभर यहाँ स्मार्ट मॉडल लड़के-लड़कियों का ताँता लगा रहता है। कुछ विज्ञापनों के लिए बच्चों की भी जरूरत रहती है और बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ आते रहते हैं। छोटे शहरों में जो ठग किस्म के लोग ऑडिशन करते घूमते रहते हैं, उसके उलट यहाँ पूरी तरह सच्चा काम होता है।

यहाँ मुलाकात हुई महेंद्रसिंह धोनी के साथ एड फिल्म करने वाली लैला पंडा से। यहाँ लैला किसी काम से आई थीं। वे इस समय अनेक विज्ञापनों में नजर आ रही है। इसके अलावा अन्य कई चेहरे ऐसे दिखे जिन्हें हम विज्ञापनों में रोज देखते हैं। कुल मिलाकर मुंबई में जितनी भी मॉडलिंग होती है उसका सत्तर फिसदी हिस्सा इसी इलाके से पूरा होता है। आदर्श नगर, ओशिवारा, लोखंडवाला मुंबई के फिल्म उद्योग के लिए बहुत सारा कच्चा माल तैयार करते हैं।

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