Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पांडिचेरी : संस्कृतियों का संगम

हमें फॉलो करें पांडिचेरी : संस्कृतियों का संगम
WDWD
कोरूमंडल तट पर चेन्नई से १६० किलोमीटर दक्षिण में स्थित पांडिचेरी ने कई उतार-चढ़ावों और साम्राज्यों को देखा है। वहाँ कभी पल्लव वंश का तो कभी चोल वंश का शासन रहा। अंत में वहाँ फ्रांसीसियों की सरकार बनी।

यह आकर्षक जगह कभी फ्रांसीसियों का गढ़ रही है और वर्तमान समय में भी यहाँ लुभावने घर, सजीले बगीचे और फ्रांसीसी शैली में बने होटल प्रमाण देते हैं कि फ्रांस की संस्कृति यहाँ रची-बसी है। तमिलनाडु का हिस्सा होने के कारण यहाँ तमिल संस्कृति भी देखने को मिलती है यानी भारतीय-फ्रांसीसी संस्कृति का मनभावन मिश्रण देखना हो तो पांडिचेरी चले आइए।

यहाँ की खूबसूरत हवेलियों पर हाथी दाँत के रंग की दीवारों पर झूलते बोगनवेलिया दिखाई देते हैं। देखा जाए तो यह ऐसा अद्भुत नगर है, जहाँ ५५ भाषाएँ बोली जाती हैं। यह प्राचीन काल से शिक्षा और वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। पांडिचेरी शहर को स्पष्ट रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है - फ्रांसीसी और भारतीय। वैसे तो यह नगर फ्रांस की पद्धति पर ही आधारित है। इमारतों की बनावट भी औपनिवेशक शैली की है। साथ में भारतीय या तमिल शैली में बनाए गए मकान भी हैं। पांडिचेरी की सड़कों से गुजरकर आपको ऐसा अनुभव होता है, मानो आप गुजरे हुए समय के साथ रू-ब-रू हो रहे हैं। यह शहर पूर्व-पश्चिम की संस्कृति का संगम है। यहाँ चर्च के साथ-साथ मंदिर भी बड़ी संख्या में हैं।

क्या देखें-
श्रीअरबिंदो आश्र
श्रीअरबिंदो द्वारा स्थापित एवं श्रीमाँ द्वारा संचालित श्रीअरबिंदो आश्रम योग साधना का एक उत्कृष्ट केंद्र है। यहाँ असीम शांति का अनुभव होता है। यहाँ श्रीअरबिंदो और श्रीमाँ की संगमरमर की समाधि बनी हुई है।

ऑरोविल-
अगर आप होटल के बाहर के नजारे के अलावा या फिर समुद्र किनारों पर फ्रेंच क्वार्टर घूमने के बाद अब कुछ नया देखना चाहते हों तो ऑरोविल जा सकते हैं। इसे आज का शहर कहा जाता है। जहाँ श्रीअरबिंदो और श्रीमाँ ने एक नया संसार रचने का प्रयास किया, जहाँ सभी लोग विश्व के नागरिक की तरह, सत्य की सत्ता से प्रतिबद्ध होकर शांति तथा एकता से रहें। खासियत यह है कि श्रीमाँ के आदेशों से बना यह नगर 1968 में विभिन्न देशों के प्रयासों का परिणाम है। इसे सिटी ऑफ डॉन (सूर्योदय का नगर) कहा जाता है, जहाँ आप जिंदगी का एक दूसरा ही मजा ले सकते हैं। यह आपके लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा।

यह पांडिचेरी से 10 किलोमीटर दूर है। इसमें 40 बस्तियों में विभिन्न देशों के लोग रहते हैं। यहाँ की सैर का आनंद लेने के लिए साइकल सबसे अच्छी सवारी है। यहाँ फार्म और बगीचे में जैविक खेती को सफलतापूर्वक अपनाया गया है।

सरकारी उद्यान-
यह शहर के प्राचीन औपनिवेशक वाले हिस्से के बीच है। इसकी खूबसूरत हरीतिमा के चारों ओर अधिकतर सरकारी इमारतें बनी हुई हैं। इसमें उपराज्यपाल का निवास, विधानसभा और सरकारी अस्पताल के अलावा एक खूबसूरत विले में डाइनिंग रूम है, जिसने अब एक प्राइवेट क्लब के साथ एक पुराने होटल का भी रूप ले लिया है।

स्मारक -
पांडिचेरी में स्मारकों की कमी नहीं है। हर स्मारक एक कहानी बयान करता है। इसमें 'आयी मंडप' सबसे जाना-माना स्मारक है। यह मंडप फ्रांस में नेपोलियन-तृतीय के शासनकाल के दौरान बनाया गया था। इसका नाम १६वीं शताब्दी की एक वेश्या 'आयी' के नाम पर पड़ा। इस वेश्या ने अपना घर तोड़कर वहाँ एक पानी का टैंक बना दिया था।

पांडिचेरी संग्रहालय-
यह संग्रहालय अपनी प्राचीन उम्दा वस्तुओं के लिए मशहूर है। इसके कई भाग किए गए हैं। इनमें पुरातत्व, भू-भौतिकी, वास्तुकला, शिल्पकला, कला वस्तुओं, मुद्रण और शस्त्रों के कई अलग-अलग विभाग हैं। यह पांडिचेरी का चमकीला इतिहास बयान करता है। पल्लव, चोल तथा विजयनगर की संस्कृति से लेकर यहाँ ईसा पूर्व के युग तक की यादें आपके समक्ष प्रस्तुत की गई हैं। इसे देखना अपने आप में रोमांचकारी है।

लाइट हाउस-
27 मीटर ऊँचा लाइट हाउस 150 साल पुराना है। समुद्र के सामने महात्मा गाँधी, जॉन आर्क, डूप्ले की प्रतिमाएँ लगी हैं। फ्रांसीसियों के युद्ध विजय-स्मृति चिह्न खड़े हैं। गाँधी मैदान के दोनों ओर दो मंजिला वृत्ताकार संरचना इत्यादि भी यहीं है।

बॉटनिकल गार्डन-
पांडिचेरी में बॉटनिकल गार्डन 1826 में बना। जब यह प्रख्यात वनस्पति वैज्ञानिक पैरोटेट की देख-रेख में आया तो यहाँ कलकत्ता, मद्रास, सीलोन तथा रूमानिया से पौधे लाए गए। आज यहाँ पौधों की 1500 प्रजातियों का संग्रह है।

मंदिर-
यहाँ 32 के लगभग मंदिर हैं, जिसमें से मनाकुला विजयनगर मंदिर, वेदापुरीस्वरार मंदिर, कामतचियाम्मलै मंदिर तथा वरदराजपरुमल मंदिर प्रसिद्ध हैं।

चर्च-
फ्रेंच मिशनरियों ने 16वीं और 17वीं शताब्दी में चर्च बनवाए, जिसमें से सेक्रेड हार्ट ऑफ जीसस, कैथेड्रल, एग्लाइस डे नार्टे डेमे एइस एंजल्स देखने लायक हैं।

बोट हाउस, चुन्नाम्बर-
पांडिचेरी से 8 किलोमीटर दूर चुन्नाम्बर नदी पर बोटिंग की सुविधा उपलब्ध है। कल-कल बहता पानी और नदी के दोनों छोरों पर बिखरी हरीतिमा के बीच जल में सैर एक अद्भुत आनंद देती है। बोट सप्ताह में किसी भी दिन किराए पर ली जा सकती हैं।

कहाँ ठहरें -
होटल डेल ओरियंट, 17 र्‌यू रोमेन रोलैंड और होटल डि पांडिचेरी में ठहर सकते हैं। चुन्नाम्बर बीच और बैंक वॉटर रिसॉर्ट है, जो बोटिंग और बैकवॉटर टूर की सुविधाएँ प्रदान करता है।

पार्क गेस्ट हाउस-
यह अरबिंदो आश्रम से संबंधित है। इसके कमरे समुद्र की ओर हैंहैरिटेज विला हेलेना, विला पांडिचेरी और आनंदा भी ठहरने के लिए अच्छे स्थान हैं।

कैसे जाएँ-
सड़क मार्ग- पांडिचेरी चेन्नई से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। वहाँ से पांडिचेरी तक आने में 4 घंटे का समय लगता है। नेशनल हाइवे 45 की तुलना में पूर्व तटीय सड़क अधिक सुरम्य है। आपको रास्ते में इसका आनंद भी मिलेगा।

हवाई मार्ग- चेन्नई सबसे समीप का हवाई अड्डा है, जो सभी महानगरों और मुख्य नगरों से जुड़ा हुआ है। अगर आप विदेश से चेन्नई के लिए उड़ान भर रहे हैं तो हाइवे पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा आता है। यह पांडिचेरी की तरफ जाता है।

रेल मार्ग- पांडिचेरी तक आने-जाने वाली रेलगाड़ियों की संख्या बहुत कम है और ये बहुत धीमी गति से चलती हैं। विकल्प यह है कि आप बंगलौर से कुड्डालोर के बीच चलने वाली ट्रेन लें और फिर सड़क मार्ग से पांडिचेरी तक आएँ।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi