Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आईपीओ लाने वाली कंपनियाँ भ्रमित

25 प्रतिशत अनिवार्य पब्लिक होल्डिंग के नियम का प्रभाव

हमें फॉलो करें आईपीओ लाने वाली कंपनियाँ भ्रमित
मुंबई , सोमवार, 14 जून 2010 (17:38 IST)
किसी कंपनी में 25 फीसद अनिवार्य सार्वजनिक हिस्सेदारी (पब्लिक होल्डिंग्स) के नए नियम से वे कंपनियाँ उलझन में पड़ गई हैं, जो आने वाले दिनों में आईपीओ लाने की तैयारी में हैं और जिनमें अच्छा-खासा पीई निवेश है।

इंवेस्टमेंट बैंकरों के मुताबिक पीई निवेश को प्रमोटर के हिस्से में जोड़ा जाएगा या नहीं, यह बात अभी साफ नहीं है। इसकी वजह से ऐसी कंपनियों के आईपीओ लाने की योजना पर असर पड़ सकता है। नए नियम के कारण इन कंपनियों को अपने आईपीओ का साइज बदलना पड़ सकता है। हालाँकि, यह इस पर निर्भर करेगा कि पीई निवेश को किस श्रेणी डाला जाता है।

कौन है पब्लिक स्पष्ट नहीं :
प्राइम डाटाबेस के मैनेजिंग डायरेक्टर पृथ्वी हल्दिया का कहना है कि नए दिशा-निर्देश में यह साफ नहीं है कि आखिरकार कौन पब्लिक है। यदि शुरुआती चरण में वेंचर या प्राइवेट इक्विटी की हिस्सेदारी को प्रमोटर ग्रुप में जोड़े जाने पर पीई निवेशक अपनी हिस्सेदारी को कम करने को कहते हैं तो आईपीओ का साइज बढ़ाना पड़ेगा।

प्रमोटर श्रेणी में रखने पर विचार :
चर्चा है कि सेबी वेंचर कैपिटल फंड्स या प्राइवेट इक्विटी फंड्स, जिन्हें कंपनी में निवेश किए हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता है, उन्हें प्रमोटर की श्रेणी में डालने पर विचार कर रहा है। रामकी इंफ्रास्ट्रक्चर, नवयुग इंजीनियरिंग, जीएमआर एनर्जी, भीलवाड़ा पावर, विजय इलेक्ट्रिकल्स, एस्टर टेलीकॉम और बेसिक्स (माइक्रो-फाइनेंस कंपनी) उन कंपनियों में से हैं जिनमें अच्छा-खासा पीई निवेश है। माना जा रहा है कि रामकी इंफ्रा पहले ही सेबी के पास आईपीओ की मंजूरी के लिए प्रॉस्पेक्टस दाखिल कर चुकी है जबकि दूसरी कंपनियाँ इस साल बाजार में उतरने की तैयारी में हैं।

असमंजस की स्थिति :
दाइवा कैपिटल मार्केटर्स के एमडी और हेड (इंवेस्टमेंट बैंकिंग) ब्रजेश कोषाल का कहना है कि यह असमंजस की स्थिति है। वह कहते हैं कि आईपीओ लाते वक्त यदि यह तय नहीं होगा कि पीई हिस्सेदारी किस श्रेणी में मानी जाएगी तो कंपनियाँ पीई निवेशकों को ज्यादा हिस्सेदारी देने में दिक्कत महसूस करेंगी। इस नियम के पालन के लिए प्रमोटर पीई निवेशकों को यह कह सकते हैं कि आईपीओ में वे भी अपनी हिस्सेदारी बेचें।

सरकार का फरमान :
पिछले हफ्ते वित्त मंत्रालय ने सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रुल्स में बदलाव की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत सरकार ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम 25 फीसद सार्वजनिक हिस्सेदारी को अनिवार्य कर दिया। नए नियम का साफ मतलब है कि जो कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने की तैयारी में है, उसे भी कम से कम 25 फीसद हिस्सेदारी सार्वजनिक करनी होगी।

हर साल 5% हिस्सेदारी घटाना होगी :
पहले से सूचीबद्ध कंपनियाँ, जिनकी सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 फीसद से कम है, उन्हें भी हर साल 5 फीसद की दर से सार्वजनिक हिस्सेदारी को 25 फीसद तक ले जाना होगा। मजूमदार एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर अकिल हिरानी का मानना है कि सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) रुल्स में थोड़ा परिवर्तन करने की जरूरत पड़ेगी ताकि पीई सौदों को व्यवस्थित किया जा सके।
(नईदुनिया)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi