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जानिए बिल्वपत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें

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भगवान शिव के पूजन में बिल्वपत्र का बहुत महत्व है। कहा जाता है, कि बिल्वपत्र शि‍वजी को अतिप्रिय है। इसलिए भोलेनाथ को बि‍ल्वपत्र अर्पित किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं बिल्वपत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण बातें ? यदि नहीं जानते, तो जरूर पढ़िए - 


 
 
1  बिल्वपत्र 6 महीने तक बासी नहीं माना जाता। इसे एक बार शिवलिंग पर चढ़ाने के बाद धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है। कई जगह शिवालयों में बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पाने पर इसके चूर्ण को चढ़ाने का विधान भी है। 

 बिल्वपत्र को औषधि‍ के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इसमें निहित इगेलिन व इगेलेनिन नामक क्षार-तत्व औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। यह चातुर्मास में उत्पन्न होने वाली विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से भी निजात दिलाता है । 

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3  यह गैस, कफ और अपचन की समस्या को दूर करने में सक्षम है। इसके अलावा यह कृमि और दुर्गंध की समस्या में भी फायदेमंद है । प्रतिदिन 7 बिल्वपत्र खाकर पानी पीने से स्वप्नदोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक औषधि के रूप में भी काम आता है।

 मधुमेह के रोगियों के लिए बिल्वपत्र रामबाण इलाज है। मधुमेह होने पर 5 बिल्वपत्र, 5 कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन सुबह के समय खाने से अत्यधि‍क लाभ होता है। बिल्वपत्र के प्रतिदिन सेवन से गर्मी बढ़ने की समस्या भी समाप्त हो जाती है।
 

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 शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं भक्त को कभी भी पैसों की समस्या नहीं रहती है। बिल्वपत्र को तिजोरी में रखने से भी बरकत आती है। 

6  कुछ विशेष तिथि‍यों पर बि‍ल्वपत्र को तोड़ना वर्जित होता है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति पर बिल्वपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए।

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7  सोमवार के दिन बिल्वपत्र को नहीं तोड़ना चाहिए, इसमें शि‍वजी का वास माना जाता है। इसके अलावा प्रतिदिन दोपहर के बाद भी बिल्वपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। 

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