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सरदार होंगे भारतीय दल के ध्वजवाहक

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इंचियोन , गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (22:01 IST)
इंचियोन। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह को इंचियोन में 17वें एशियाई खेलों के उद्घाटन समारोह में भारतीय दल का ध्वजवाहक बनने का गौरव हासिल हुआ है।
 
उद्घाटन समारोह की पूर्व संध्या पर गुरुवार को यहां खेल गांव में भारतीय दल प्रमुख आदिल सुमारिवाला और अन्य खिलाडि़यों की मौजूदगी में तिरंगा लहराया गया लेकिन उस दौरान भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की ओर से उद्घाटन समारोह में भारतीय दल के ध्वजवाहक की घोषणा नहीं की गई।
 
सुमारिवाला से इस बारे में पूछे जाने पर वे कोई सीधा जवाब नहीं दे सके। उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि हर मिनट कुछ न कुछ बदल रहा है जिसके बाद यह सस्पेंस बना हुआ है कि भारतीय ध्वजवाहक बनने का गौरव किस खिलाड़ी को मिलेगा। इसके कुछ ही समय बाद यह घोषणा हो गई कि सरदार भारतीय दल के ध्वजवाहक होंगे। हॉकी इंडिया (एचआई) ने यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी है।
 
भारतीय हॉकी टीम के कप्तान और स्टार मिडफील्डर 28 वर्षीय सरदार दिल्ली के मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में इंचियोन एशियाड की मशाल प्रज्ज्वलित किए जाने के समारोह का एक अहम हिस्सा थे। सरदार दूसरी बार एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करेंगे और यह सम्मान उन्हें ऐसे समय मिला है जब भारतीय हॉकी को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। 
 
हॉकी इंडिया के महासचिव नरेंद्र बत्रा ने सरदार को यह सम्मान मिलने पर बधाई देते हुए कहा, एशियाई खेलों के लिए सरदार को ध्वजवाहक चुने जाने पर मुझे और हॉकी इंडिया परिवार को बेहद खुशी हो रही है। हमें सरदार की उपलब्धियों पर बहुत गर्व है। ऐसे बड़े मंच पर देश का प्रतिनिधित्व करना बड़े गौरव की बात होती है और मैं सरदार को पूरे हॉकी समुदाय की ओर से बधाई देता हूं।
 
सरदार ने अपना अंतरराष्ट्रीय करियर वर्ष 2006 में शुरू किया था और तब से अब तक वे 191 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने हाल में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था। वर्ष 2010 में भारत में हुए विश्वकप में अपने शानदार प्रदर्शन के कारण सरदार एफआईएच की ऑल स्टार टीम में शामिल किए गए थे। उन्हें 2012 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
 
सरदार दुनिया में हॉकी की तमाम बड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खेल चुके हैं। उन्होंने एशियाड के लिए रवाना होने से पहले यूनीवार्ता के साथ बातचीत में विश्वास व्यक्त किया था कि भारतीय टीम इस बार एशियाई खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन कर स्वर्ण के साथ-साथ 2016 के रियो ओलंपिक का टिकट हासिल करेगी। 
 
हॉकी टीम के कप्तान को भारतीय ध्वजवाहक बनाकर आईओए ने कुछ अलग हटकर शुरुआत की है। वरना आमतौर पर निशानेबाजों को यह गौरव हासिल होता रहा था। यह दिलचस्प रहा कि जुलाई-अगस्त में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय ध्वजवाहक कीघोषणा ग्लास्गो से की गई थी और यहां भी भारतीय ध्वजवाहक की घोषणा इंचियोन से की गई। 
 
भारतीय दल का ध्वजवाहक बनाने में किसी भी खिलाड़ी के पिछले प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए उसके नाम की घोषणा की जाती है। चार साल पहले चीन के ग्वांग्झू में हुए 16वें एशियाई खेलों में मशहूर निशानेबाज गगन नारंग को भारतीय ध्वजवाहक बनाया गया था जिन्होंने उससे एक महीने पहले दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में चार स्वर्ण पदक जीते थे। 
 
लंदन ओलंपिक में सुपरस्टार पहलवान सुशील कुमार को ध्वजवाहक बनने का गौरव हासिल हुआ। सुशील ने 2008 के बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के अलावा 2010 की विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। 
 
2012 के लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले निशानेबाज विजय कुमार को ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय ध्वजवाहक बनने का सम्मान मिला। वर्ष 2008 के बीजिंग ओलंपिक में देश का पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले राइफल निशानेबाज अभिनव बिन्द्रा को दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में ध्वजवाहक बनने का सम्मान दिया गया। (वार्ता)

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