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मुक्केबाज सरिता मामले की जांच करेगा एआईबीए

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इंचियोन , गुरुवार, 2 अक्टूबर 2014 (00:02 IST)
इंचियोन। भारत की महिला मुक्केबाज सरिता देवी को एशियाई खेलों के पोडियम समारोह के दौरान अपना कांस्य पदक लौटाने के लिए एआईबीए की जांच का सामना करना पड़ेगा। मुक्केबाजी की विश्व संचालन संस्था के सुपरवाइजर ने उनके पदक लौटाने को अफसोसजनक करार किया।
सरिता से स्वर्ण पदक काम  मौका छीन लिया गया था क्योंकि उन्हें कोरिया की जिना पार्क के खिलाफ 60 किग्रा सेमीफाइनल की बाउट में पराजित घोषित किया गया था। इस निराशा में रोती हुई सरिता ने बुधवार को अपना कांस्य पदक लौटा दिया था।
 
एआईबीए ने बयान में कहा, एआईबीए ने इस मामले की समीक्षा के लिए अपनी अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रक्रिया शुरू कर दी है और फैसला एशियाई खेलों के तुरंत बाद किया जाएगा। 
 
एआईबीए ने अपने बयान में कहा कि इसके सुपरवाइजर और तकनीकी प्रतिनिधि डेविड बी फ्रांसिस ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) को इस संबंध में एक रिपोर्ट सौंप दी है।
 
फ्रांसिस ने लिखा, पूरी घटना उसके और उसकी टीम द्वारा एक सुनियोजित पटकथा की तरह लग रही है और एक मुक्केबाज का पदक लेने से इनकार करना खेदजनक है, भले ही प्रतिस्पर्धा में कुछ भी हुआ हो। 
 
फ्रांसिस ने कहा, इस संबंध में तकनीकी प्रतिनिधि के तौर पर मुझे इस घटना की समीक्षा के लिए ओसीए का आग्रह करना पड़ा, इसलिए कोई भी मुक्केबाज या किसी अन्य खेल का एथलीट उसके पदचिन्हों पर नहीं चले और ओलंपिक मूवमेंट के ‘फेयरप्ले’ के जज्बे और खेल भावना का सम्मान करे। 
 
एआईबीए के सुपरवाइजर ने कहा कि पूरी भारतीय मुक्केबाजी टीम एआईबीए रैफरियों और जज प्रणाली एवं प्रबंधन का विरोध कर रही थी जो निश्चित रूप से इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें एआईबीए तकनीकी और एओबी प्रतिस्पर्धा नियमों की पूरी समझ नहीं थी।
 
रिपोर्ट में कहा गया कि विरोध करते हुए भारतीयों ने एआईबीए तकनीकी नियमों का पालन नहीं किया और जज के फैसलों का विरोध किया, हालांकि नियम केवल रैफरियों के फैसले के खिलाफ विरोध की अनुमति देते हैं, जज के फैसले की नहीं। (भाषा)

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