Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

उम्र को मात देते लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा की बाजुओं में लोहा...

हमें फॉलो करें उम्र को मात देते लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा की बाजुओं में लोहा...

सीमान्त सुवीर

टेनिस के मक्का कहे जाने वाले 'विंबलडन' में विजेता हर खिलाड़ी का वैसा ही ख्वाब रहता है जैसा कि एक क्रिकेटर का 'लॉर्ड्‍स' में खेलना...ये दोनों ही स्थान लंदन में हैं और शनिवार-रविवार के दिन एक साथ तीन भारतीयों को चैम्पियन बनते देखना बेहद सुकून देने वाला रहा। उम्र के 42वें पड़ाव पर लिएंडर पेस ने मिश्रित युगल के साथ 16वां ग्रैंड स्लैम जीता, सानिया मिर्जा ने महिला युगल में तीसरा ग्रैंड स्लैम और सुमित नागल जूनियर वर्ग में चैम्पियन बने। 
कितने हैरत की बात है कि तीन दशक पहले जहां टेनिस के मंच पर केवल विजय अमृतराज भारतीय चुनौती पेश किया करते थे, वहीं आज तीन-तीन सितारे न केवल अपना जलवा दिखा रहे हैं बल्कि विजेता बनकर देश का नाम रोशन कर रहे हैं। विंबलडन से जुड़ी कुछ यादें हैं, जो बरबस ताजा हो जाती हैं...
 
कोई 30-35 साल पहले जब चेक गणराज्य के प्राग शहर में 18 अक्टूबर 1956 को जन्म लेकर 1975 में अमेरिका का ग्रीन कार्ड और फिर 1981 में अमेरिकी नागरिकता लेकर महिला टेनिस जगत में धूम मचाने वाली मार्टिना नवरातिलोवा की 1970 और 80 के दशक में तूती बोलती थी। एक बार विजय अमृतराज ने मार्टिना से कहा कि वे इंडिया आएं, ताकि यहां भी लड़कियों में टेनिस के प्रति जागरूकता पैदा हो।
webdunia
अमृतराज के इस प्रस्ताव पर जानते हैं मार्टिना का क्या जवाब था? मार्टिना ने कहा कि ये 'इंडिया' ग्लोब में है कहां? अमृतराज ने तब इंडिया की परिभाषा यह कहकर दी कि जहां पर दुनिया के सात आश्चर्यों में एक 'ताज महल' है, उसी देश का नाम इंडिया है। 
 
समय-समय की बात है, जिस मार्टिना नवरातिलोवा को ग्लोब पर भारत नजर नहीं आता था, उसी देश के खिलाड़ी लिएंडर पेस के साथ उन्होंने 12 साल पहले 2003 में पहले ऑस्ट्रेलियन ओपन और फिर उसी साल विंबलडन का मिश्रित युगल खिताब जीता। मार्टिना नवरातिलोवा ने 50 की उम्र में 18 एकल, 31 महिला युगल और 15 मिश्रित ग्रैंड स्लैम खिताब जीतकर 2006 में अपना रैकेट खूंटी पर टांग दिया। 
 
नवरातिलोवा के सुझाव पर ही मार्टिना हिंगिस ने मिश्रित युगल में लिएंडर पेस को अपना जोड़ीदार बनाया और तीन मिश्रित युगल ग्रैंड स्लैम खिताब जीते। 30 सितम्‍बर 1980 में जन्मी हिंगिस की टेनिस कहानी भी किसी परिकथा से कम नहीं है। मां से टेनिस की ट्रेनिंग लेकर वे 14 बरस की उम्र में ही टेनिस के कोर्ट पर आ गई थीं। जब उन्होंने 1996 में पहला महिला युगल ग्रैंड स्लैम खिताब जीता, तब उनकी उम्र केवल 15 साल 9 माह थी, जबकि 1997 में पहली बार वे ऑस्ट्रेलियन ओपन में महिला एकल का खिताब जीतने में सफल रहीं। 
webdunia
22 साल की उम्र में ही मार्टिना हिंगिस ने 2003 में टेनिस से संन्यास ले लिया था, लेकिन वे 2005 में फिर कोर्ट पर आ गईं, लेकिन 2007 में फिर से संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया। उन्हें चोट लगी हुई थी और वे उसका उपचार करवा रहीं थीं। मार्टिना के सफेद कपड़ों पर कोकीन के सेवन करने तक का दाग लगा। वे 209 सप्ताह तक दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनी रहीं। 
 
टेनिस से छुटकारा पाते ही मार्टिना ने 2010 में अपने से पांच साल छोटे घुड़सवार थिबॉल्ट हुटिन से विवाह कर लिया लेकिन विवाह के बाद भी टेनिस का जुनून उन्हें दोबारा आकर्षित कर रहा था और 2013 में उन्होंने फिर से इस खेल की चकाचौंध दुनिया में प्रवेश किया और यह भी ऐलान कर डाला कि वे अब सिर्फ युगल मुकाबलों में ही हिस्सा लेंगीं। मार्टिना हिंगिस के नाम अब तक 5 एकल, 10 महिला युगल और 3 मिश्रित युगल ग्रैंड स्लैम खिताब हैं।  
 
विदेशी खिलाड़ियों की संगत का ही असर रहा कि भारत के लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा का खेल निखरता चला गया। आज जहां आम आदमी से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पेस-सानिया की तारीफ के कसीदे पढ़ रहे हैं, क्या वे भूल गए हैं कि ये दोनों किस मानसिक यंत्रणा के दौर से गुजरे हैं? शायद नहीं.. लिएंडर पेस को अपनी ही बेटी को पाने के लिए कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े तो सानिया मिर्जा की पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से विवाह करने के फैसले पर ही कितना बवाल मचा था...
 
जब इंसान फर्श से अर्श पर पहुंच जाता है तो उसकी तमाम कड़वी यादों को पानी के बुलबुले की तरह भुला दिया जाता है लेकिन जो दर्द उसने सहा है, उसे वही महसूस कर सकता है। सानिया अपने पाकिस्तानी पति के साथ दुबई में रह रही है लेकिन इसी सानिया ने पाकिस्तान की बहू बनकर वहां की परदानशीं लड़कियों को टेनिस के कोर्ट की राह दिखला दी है। पाकिस्तान में जहां चार लड़कियां भी टेनिस नहीं खेलती थीं, वहीं आज 40 लड़कियां टेनिस के कोर्ट पर पसीना बहा रहीं हैं। 

घुटने और अन्य शारीरिक तकलीफों को झेलने वाली सानिया मिर्जा की कलाईयां अब नाजुक नहीं रहीं बल्कि उनकी बाजुओं में लोहा भर चुका है। यही कारण है कि उन्होंने मार्टिना हिंगिस जैसी अनुभवी जोड़ीदार के साथ विंबलडन में महिला युगल का ताज अपने सिर बांधा है। 
 
बहरहाल, अभी तो विंबलडन के जश्न को मनाने का मौका है। भारतीय टेनिस इतिहास में यह पहला मौका है, जब तीन‍ खिलाड़ी टेनिस के मक्का 'विंबलडन' में चैम्पियन बनकर निकले हैं। इन तीनों का स्वदेश पहुंचने पर लाल कॉरपेट बिछाकर स्वागत करना चाहिए ताकि आने वाली नस्ल को प्रेरणा मिल सके...

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi