स्वामी विवेकानंद ने जब भारतीय नारियों की दुर्दशा और विशेषकर उन दुखद परिस्थितियों की याद आई जिनके कारण उनकी एक बहन आत्महत्या करने को बाध्य हुई थी, तो उनका मन कटुता से भर उठा।
बारम्बार उनके मन में आता कि हिन्दुओं का अपनी नारी जाति के साथ दुव्यर्वहार ही भारत की दुर्गति का मुख्य कारण है।
उनके व्याख्यानों से प्राप्त आय का एक अंश वराहनगर के एक हिन्दू विधवाश्रम को भेजा गया। हिन्दू नारी के बौद्धिक पुनरुत्थान के लिए वे पश्चिम से महिला शिक्षिकाएं भी भेजने पर विचार कर रहे थे।