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टीवी के टॉप 13 जासूसी सीरियल

हमें फॉलो करें टीवी के टॉप 13 जासूसी सीरियल

निवेदिता भारती

अक्सर ही टीवी पर दिखाए जाने वाले सीरियलों के विषय में नकारात्मक टिप्पणी करते हुए लोगों को सुना जा सकता है। घंटों टीवी के सामने गुजारने के बाद भी मनोरंजन का कोटा खाली लगता है। ज्यादातर समय तो चैनल बदलते हुए किसी अच्छे कार्यक्रम की खोज में ही निकल जाता है। आखिर में लगता है इतना समय बर्बाद हो गया और मजा भी नहीं आया। आइए याद करते हैं कुछ ऐसे बेहद मनोरंजक सीरियल जो जासूसी और खोज (investigation) पर आधारित थे तथा जिनसे उस दौर में आपका भरपूर मनोरंजन हुआ। आलम यह था कि उनके अगले एपिसोड का आप बेसब्री से इंतजार करते थे। मुख्य पात्रों के साथ-साथ आप भी अपराधी की खोज में जुट जाते थे। हम सभी को भरपूर मनोरंजन करने वाले कार्यक्रमों की कमी खलती है। टीवी पर पहले प्रसारित किए गए कुछ जासूसी सीरियल में हमारी रुचि आज भी बरकरार है। उन्हें याद करना बेहद खास होगा। तो जानते हैं ऐसे प्रोग्राम, जो आजकल प्रसारित किए जाने वाले कार्यक्रमों के लिए एक पैमाना बन चुके हैं। कुछ की सफलता का तो यह आलम है कि अभी भी दिखाए जा रहे हैं। पेश है ऐसे टॉप 13 धारावाहिक। 
 
करमचंद
भारतीय जासूसों की दर्शकों में लोकप्रियता की चरम सीमा को पहली बार जासूस 'करमचंद' के साथ देखा गया। साल 1985 में पहली बार भारतीय दर्शकों के बीच पेश किए गए 'करमचंद' का टाइटल इसके मुख्य पात्र जासूस 'करमचंद' पर आधारित था, जो अपनी सहायक किट्टी के साथ मिलकर हत्या के रहस्यों से पर्दा उठाता है। जासूस 'करमचंद' का निर्देशन पंकज पाराशर ने किया था।

ब्योमकेश बक्षी
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करमचंद के अनोखे जासूसी अंदाज के बाद दर्शकों के दिल में गहराई से बस जाने वाला 'ब्योमकेश बक्षी' दूसरा भारतीय जासूस था। ब्योमकेश बक्शी आजादी के पहले के भारत में बंगाल में रहने वाले जासूसी के गंभीर केसों को सुलझाने की कला पर आधारित था। ब्योमकेश बक्शी के रूप में रजत कपूर ने अपने बेहतरीन अभिनय से एक अमिट छाप छोड़ी।

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हम सभी जानते हैं कि इस शो की प्रसिद्धि के पीछे एक बहुत बड़ा कारण अनिल कपूर का इसमें मुख्य भूमिका में होना था, परंतु इसके अलावा भी अपने अलग केसों और उन्हें हल करने के तरीकों के दम पर भी दर्शकों और आलोचकों द्वारा इसे बहुत पसंद किया गया।
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यह अमेरिका में इसी नाम से दिखाए गए शो पर आधारित था। इसके भारतीयकरण को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया। अनिल कपूर का साथ देते हुए भारतीय टेलीविजन के बड़े नाम जैसे मंदिरा बेदी, टिस्का चोपड़ा और नील भूपलम ने अपनी भूमिकाओं में दर्शकों को प्रभावित किया।

अदालत
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टेलीविजन के जाने-माने कलाकारों में शुमार रोनित रॉय को अदालत के केडी के रूप में दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया। इसमें वे ऐसे वकील की भूमिका में हैं, जो न्याय के लिए लड़ता है न कि मुवक्किल के लिए। केडी के सच खोज निकालने के अपारंपरिक तरीकों को दर्शकों का काफी अच्छा प्रतिसाद मिलता रहा है। केडी सच का साथ देने की आदत के चलते अब तक कोई भी केस नहीं हारा है। अदालत भारतीय टेलीविजन की काबिलियत दर्शाने वाला शो है। 

सीआईडी 
भारतीय टेलीविजन पर सबसे लंबे समय तक चलने वाले इस शो की प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हम सभी ने कभी-न-कभी इस पर बने चुटकुले सुने हैं। एसीपी प्रद्युम्न, सीनियर इंस्पेक्टर अभिजीत और इंस्पेक्टर दया फोरेंसिक डॉक्टर की मदद से केस का हल निकालते हैं।
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हम सभी मानते हैं कि सीआईडी में प्रयुक्त हल खोजने के तरीके वास्तविकता से दूर और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए जाते हैं, साथ ही साथ एसीपी की पदोन्नति या सेवानिवृत्ति को लेकर इंटरनेट पर चुटकुलों की बाढ़ आई हुई है। कमियों के बावजूद यह धारावाहिक दर्शकों की पसंद बना हुआ है। 

तहकीकात
अपने पहले एपिसोड से ही 'तहकीकात' दर्शकों में बेहद लोकप्रिय हो चुका था। इसमें विजय आनंद (देव आनंद के भाई) सेम डी'सिल्वा की भूमिका में थे। उनके अलावा सौरभ शुक्ला गोपीचंद के किरदार में नजर आए। 1994 के मई में दूरदर्शन पर इसकी शुरुआत हुई थी। 'तहकीकात' के एपिसोड में रहस्य और कत्ल से भरी हुई कहानियां दिखाई जाती थीं जिन्हें सेम काफी आत्मविश्वास और थोड़े से मजाक के साथ हल कर देते थे। कहानियों में चुंबक का इस्तेमाल हो या कंचे कत्ल की वजह, सेम का केस सुलझाना बेहद रोचकता से भरा होता था। हत्या के कारण बहुत सामान्य होते थे। किसी ऐसी पिस्तौल से कत्ल किया जा सकता है जिसे खासतौर पर 9 गोलियों के लिए डिजाइन किया गया हो, जैसे केस सुलझाना सिर्फ सेम के लिए ही संभव लगता था। साप्ताहिक रेटिंग में 'तहकीकात' हमेशा सबसे ऊपर रहता था। 'तहकीकात' का निर्देशन शेखर कपूर और करन राजदान ने किया था। 

स्पेशल स्क्वॉड 
साल 2005 में चैनल स्टार वन पर प्रसारित किए गए इस क्राइम शो में विशेषज्ञ खोजकर्ताओं की टीम विभिन्न केसों को सुलझाती है। इस टीम में असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर (उदय भानु), एक फोरेंसिक डॉक्टर (गौरी प्रधान तेजवानी) और एक अपराधी मनोवृत्ति विशेषज्ञ (कुलजीत रंधावा) थीं। कुल 52 एपिसोड लंबे इस कार्यक्रम को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया। 

सिद्धांत
यह शो दर्शकों में उतनी लोकप्रिय नहीं हो सका जिसके यह काबिल था। इसमें कहानी एक ऐसे बेहद कामयाब वकील के आसपास घूमती है, जो अपनी आधी जिंदगी एक बुरे इंसान के रूप में बिता देता है। यह बाद में खुद में बदलाव लाने के इरादे से केसों को सुलझाने की दिशा में काम करना शुरू कर देता है। यह न सिर्फ केस सुलझाने की कोशिश करता है बल्कि साथ ही साथ अपने पहले जीवन के अंदाज पर भी विचार करता है। इस शो की लिखावट बेहतरीन और रोचक थी। इस शो में मुख्य भूमिका निभाने वाले पवन शंकर ने अपने बेहतरीन अभिनय के लिए खूब प्रशंसा बटोरी। 

पाउडर
यशराज बैनर तले बने 'पाउडर' को सोनी टीवी पर 2010 में प्रसारित किया गया था। इस सीरीज का उद्देश्य ऐसे लोगों को खोज निकालना था, जो ड्रग्स को अपनी जिदंगी का हिस्सा बना चुके थे और इससे पैसा बनाने का ख्वाब देख रहे थे। दूसरी तरफ नारकोटिक्स सेंट्रल ब्यूरो की ईमानदार अफसरों की एक टीम ड्रग्स को आम जिंदगियों का हिस्सा बनने से रोकने के उद्देश्य पर काम कर रही है। ऐसा माना गया कि यह शो अंतरराष्ट्रीय टेलीविजन सीरीज 'द वायर' पर आधारित था। सिर्फ सीजन तक चली इस सीरीज को भारतीय टेलीविजन की पुलिस से संबंधित असलियत पर आधारित सबसे बेहतरीन शो माना गया। 

सुराग
दूरदर्शन पर 90 के दशक में दिखाए गए 'सुराग' में सुदेश बेरी की मुख्य भूमिका थी। एक सीआईडी ऑफिसर है, जो अपनी सहयोगी के साथ मिलकर बेहद पेचीदा केसों को सुलझाता है। केस अधिकतर हत्या से संबंधित होते थे। सभी कलाकारों के बेहतरीन अभिनय और उलझे केस से मिलने वाला रोमांच इस सीरीज की खासियत थे। अपने प्रसारण के दौर में इस शो ने भारतीय दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

कंबाला इंवेस्टिगेशन एजेंसी
5 बच्चे, जो काल्पनिक शहर कंबाला में रहते हैं, मिलकर एक एजेंसी का निर्माण करते हैं। उन सभी में कुछ खासियतें हैं, जो इन्हें केस का हल खोजने में मदद करती है। रोचकता तब पैदा होती है, जब बच्चे कंबाला के पुलिस इंस्पेक्टर से पहले केस का हल खोज लेते हैं। पोगो टीवी पर प्रसारित किए गए इस शो ने बच्चों में बहुत लोकप्रियता हासिल की। बच्चों द्वारा केस हल किए जाने के अनोखे तरीके दर्शकों को बहुत भाए। 
 

साक्षी 
यह एक ऐसे छुपी हुई महिला अफसर की कहानी थी, जो एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड का हिस्सा होती है। इस शो को 'साक्षी' नाम के साथ सोनी टीवी पर प्रसारित किया गया था। मौली गांगुली और समीर सोनी की इसमें मुख्य भूमिकाएं थीं। इस शो के रोचक प्रस्तुतीकरण के बावजूद यह दर्शकों में आशाजनक लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाया। इसमें एक महिला अफसर द्वारा केस हल किए जाने वाले रोचक घटनाक्रम के बावजूद दर्शकों को प्रभावित न कर पाना निराशाजनक रहा। इस शो को बेहतरीन अभिनय और रोचक केसों के लिए अब भी याद किया जाता है।

सबूत
80 के दशक में भारतीय दर्शकों को लुभाने वाले इस सीरीज को लोकप्रिय क्राइम शो की सूची में प्राथमिकता दी जाती है। इसमें अनिता कंवर ने एक आलसी परंतु बेहद होशियार जासूस की भूमिका निभाई थी। शो को स्टार प्लस पर साल 1988 में प्रसारित किया गया था।

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