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जीवित हो उठेगा खजुराहो

खजुराहो नृत्य महोत्सव वर्ष 2009

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गायत्री शर्मा

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ईश्वर की आराधना के अनेक माध्यम हैं। उनमें से एक माध्यम नृत्य भी है। नृत्य कला की एक ऐसी विधा है, जो अंग-अंग में ऊर्जा की तरंग संचारित करने के साथ ही वातावरण को भी जीवंत व खुशनुमा बना देती है। जहाँ नृत्य होता है, वहाँ त्योहार सा लगता है। एक ऐसे ही नृत्य महोत्सव के लिए तैयार है मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल खजुराहो।

भारतीय कला व शिल्प की उत्कृष्ट मिसाल खजुराहो अब पूरी तरह से तैयार है पर्यटकों के स्वागत के लिए। यहाँ के मंदिरों में पसरा सन्नाटा अब संगीत की धुन में खो जाएगा और हर दिशाओं में मधुर गान व नृत्य की थिरकन की ध्वनियाँ गुंजायमान होगी। विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले इस सात दिवसीय नृत्य महोत्सव की शुरुआत 25 फरवरी व समापन 3 मार्च को होगा।

  भारतीय कला व शिल्प की उत्कृष्ट मिसाल खजुराहो अब पूरी तरह से तैयार है पर्यटकों के स्वागत के लिए। यहाँ के मंदिरों में पसरा सन्नाटा अब संगीत की धुन में खो जाएगा और हर दिशाओं में मधुर गान व नृत्य की थिरकन की ध्वनियाँ गुंजायमान होगी।      
म.प्र. शासन के संस्कृति विभाग द्वारा उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत एवं कला अकादमी, भोपाल द्वारा आयोजित इस महोत्सव में प्रतिवर्ष देश के ख्याति प्राप्त नर्तक अपनी प्रस्तुतियाँ देते हैं। खजुराहो महोत्सव में शिरकत करना इन कला के आराधकों के लिए किसी स्वप्न के साकार होने से कम नहीं होता है।

इस वर्ष भी इस प्रतिष्ठित नृत्य समारोह में मालविका मित्रा, शगुन बूटानी, विजयलक्ष्मी, राजेंद्र गंगानी, राउल डिसूजा आदि अपने नृत्य की मोहक प्रस्तुतियाँ देंगे। इस दौरान खुजुराहो के भव्य व आकर्षक मंदिरों की खूबसूरती नटराज के आराधकों के घुँघरूओं की थिरकन से जीवंत हो उठेगी, जो वर्षभर इन नर्तकों के यादगार नृत्य की मधुर स्मृति बन यहाँ की फिजाओं में कैद हो जाएँगी।

रंगबिरंगी रोशनी व संगीत के मधुर वातावरण में खजुराहो की खूबसूरती चौगुना बढ़ जाती है। भारतीय कला एवं शिल्प की इस विरासत खजुराहो में आयोजित होने वाले नृत्य महोत्सव का आप भी एक बार अवश्य लुत्फ उठाएँ।

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