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इंडिया को बनाना होगा इन्क्रेडेबल इंडिया

वर्ल्ड टूरिज्म-डे पर विशेष

हमें फॉलो करें इंडिया को बनाना होगा इन्क्रेडेबल इंडिया

श्रुति अग्रवाल

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आज वर्ल्ड टूरिज्म-डे है। एक ऐसा दिन जब पूरा विश्व पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए नई-नई योजनाएँ बनाएगा। पर्यटन के लिए नई खूबसूरत इबारतें लिखी जाएँगी, चाहे फिर वह इन्क्रेडेबल इंडिया हो या फिर मलेशिया ट्रूली एशिया। लेकिन क्या सिर्फ इन्क्रेडेबल इंडिया या हिंदुस्तान का दिल देखो कह देने ही से हमारे पर्यटन मंत्रालय और हमारे काम की इतिश्री हो जाएगी?

आज वर्ल्ड टूरिज्म-डे के दिन हमें थोड़ा रुककर विचार करना चाहिए कि क्या सचमुच हम अपने इन्क्रेडेबल इंडिया की इन्क्रेडेब्लिटी को दुनिया के सामने रख पा रहे हैं? क्या हमारा पर्यटन स्तर विश्वस्तरीय हो चुका है? क्या हमारे यहाँ आने वाले विदेशी मेहमान सही तरह से हमारी संस्कृति और इतिहास से रूबरू हो पा रहे हैं? मेरी नजर से देखें तो नहीं, बिलकुल नहीं। विश्व मानक तय करने में हमें अभी बेहद लंबा वक्त लगेगा, लेकिन कुछ बुनियादी जरूरतें हैं, जिन्हें जल्द-से-जल्द पूरा करना ही होगा।
भारत में ऐसे टूरिस्ट केंद्रों का अभाव है, जिसके कारण विदेशी ही नहीं, देशी पर्यटक भी भटकता रहता है और उसका ज्यादा समय जानकारी इकट्ठा करने में ही चला जाता है।
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सबसे पहले हमें आधुनिक एवं सुविधाजनक टूरिस्ट केंद्र बनाना होंगे, जहाँ आकर पर्यटक जगह विशेष के पर्यटन के लिए अच्छी रूपरेखा तैयार कर सकें। अकसर देखा गया है कि भारत में ऐसे टूरिस्ट केंद्रों का अभाव है, जिसके कारण विदेशी ही नहीं, देशी पर्यटक भी भटकता रहता है और उसका ज्यादा समय जानकारी इकट्ठा करने में ही चला जाता है। यूरोप टूर के दौरान मैंने जाना कि सही टूरिस्ट केंद्र क्या होते हैं। स्विट्जरलैंड हो या पेरिस या फिर नीदरलैंड। आप सिर्फ टूरिस्ट केंद्र पर पहुँच जाइए।

उसके बाद आपको कहाँ जाना है, वहाँ के लिए यातायात के कौन-कौन-से साधन हैं, आप कहाँ रुक सकते हैं, से लेकर सारी जानकारियाँ एक ही स्‍थान पर उपलब्ध हो जाती हैं। इन केंद्रों पर इतने शानदार रूटमैप मिलते हैं कि नए होने के बावजूद आप अपनी मंजिल पर बड़ी आसानी से पहुँच सकते हैं। साथ ही चूँकि यह वहाँ की सरकार द्वारा संचालित होते हैं, इसलिए आपको ठगे जाने का भी डर नहीं होता।

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पर्यटन केंद्रों के अलावा अच्छे सुलभ प्रसाधन भी बुनियादी सुविधाओँ में से एक हैं, जिनका हमारे देश में काफी अभाव है। अधिकांश पर्यटन स्थलों पर यह बने ही नहीं हैं। जहाँ हैं वहाँ इतने गंदे होते हैं कि जाने का मन ही न करे। हमारा देश विविध संस्कृतियों का खूबसूरत मिलन स्थल है, इसलिए पर्यटक, खासतौर पर विदेशी पर्यटक देश के कई अनछुए हिस्सों को निहारना चाहते हैं। ऐसे में इन सुविधाओं का अभाव बेहद खटकता है।

भारतीय रेल हमारे देश की जीवन रेखा है, जो देश के अधिकांश हिस्सों को आपस में जोड़ती है। इन रेलों के अंदर रूट डिस्‍प्‍ले का अभाव बहुत खलता है। आप यूरोप की किसी भी ट्रेन में सफर करें, ट्रेन की दीवारों पर बने रूट डिस्‍प्‍ले आपको आसानी से दिख जाएँगे। इन रूट मैप की मदद से आप बड़ी आसानी से पता कर सकते हैं कि आपको कहाँ उतरना है, आपका सफर कितना लंबा है। वहीं भारतीय रेल में एक बार चढ़ने के बाद आपको साथ बैठे यात्रियों से बार-बार पूछना होगा कि आपको कहाँ उतरना है। कई बार जानकारी के अभाव में पर्यटक गलत जगह भी उतर जाते हैं, जिससे समय और पैसा दोनों ही बरबाद होता है।

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चौथी और सबसे जरूरी बुनियादी जरूरत पर्यटकों की सुरक्षा से जुड़ी हुई है। हमारे यहाँ कुछ खास उत्सवों के मौकों को छोड़ दिया जाए तो पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा का बेहद अभाव है, जिसके चलते कई बार अप्रिय घटनाएँ भी घट जाती हैं। खासकर विदेशी पर्यटकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हम अकसर समाचार में देखते हैं कि जर्मनी या ऑस्ट्रेलिया की महिला के साथ बलात्कार की घटना हुई या फिर जापान के व्यक्ति को लूट लिया गया। इस तरह की दुर्घटनाओं के कारण हमें विश्व स्तर पर शर्मिंदगी झेलना पड़ती है। साथ ही अनेक ऐसे विदेशी, जो भारत भ्रमण पर आना चाहते हैं, उन्हें ऐसी घटनाएँ रोकती हैं। इसलिए इन बुनियादी आवश्यकताओं को जल्द-से-जल्द पूरा करना होगा।

इसके साथ ही कई दीर्घकालिक योजनाएँ बनाना होंगी, ताकि हम अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक देन, सभी को खूबसूरती से दूसरों के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। इसके लिए हमें अच्छे संग्रहालय बनाना होंगे, जिनकी मदद से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत के खूबसूरत और अनछुए पहलुओं को सभी के सामने ला सकें।

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हमें हमारी ऐतिहासिक धरोहरों को नष्ट होने से बचाना होगा। उनकी सही तरीके से देखभाल करना होगा, ताकि वे हमारे देश का गौरव बने रहें। लोगों को पता चले कि हिंदुस्तान के पास ताजमहल के अलावा ऐसे अनेक दर्शनीय किले-महल-देवालय हैं, जिनकी खूबसूरती अवर्णनीय है। वहीं नीदरलैंड सरकार की तरह सजग होकर हमें अपने देश की नैसर्गिक सुंदरता को भी बचाकर रखना होगा, ताकि पर्यटक हिमालय की हँसीं वादियों से लेकर सिक्किम के रंगीन सौंदर्य और रेगिस्तान की स्वर्णिम रेत तक सभी निहार सकें।

यदि हमारा मंत्रालय इन बुनियादी और दीर्घकालिक योजनाओं पर ध्यान देगा तो हमारे देश का पर्यटन दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि करेगा, लेकिन मंत्रालय के साथ-साथ हर आम भारतीय को भी इन्क्रेडेबल इंडिया की इन्क्रेडेब्लिटी को विश्व पटल पर रोशन करने के लिए प्रयास करना होंगे। हर एक को अपने आसपास के पर्यटन स्थल का अपने घर की तरह ही ख्याल रखना होगा। पर्यटकों को मेहमान मान उनका उचित सम्मान करना होगा, ताकि हमारे यहाँ आने वाला हर आगन्तुक कहे - इन्क्रेडेबल सचमुच इन्क्रेडेबल हइंडिया।

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