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सकारात्मकता चाहे तो वास्तु को इस तरह अपनाएं

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जब भी घर सजाने की बात होती है तो हमें अलग-अलग तरह की वस्तुओं का ध्यान आता है पर आजकल इतना ही काफी नहीं है। आज की भाग-दौड़ भरी और तनावपूर्ण जिंदगी में लोग यही चाहते हैं कि घर में उन्हें वह सारा सुकून मिले जिसकी उन्हें आशा है। और यही वजह है कि लोग वास्तु का महत्व जानने लगे हैं। दरअसल वास्तु के अंतर्गत कुछ ऐसी बातों का समावेश है जिससे हमारी जिंदगी में सकारात्मकता उपजती है।
 

 
तो आइए जानते हैं कुछ खास बातें-
आपके भवन के आगे थोड़ी-सी जगह अवश्य छूटी होनी चाहिए। जिसमें बीच में प्रवेश करने के रास्ते के दोनों ओर छोटे-छोटे फूलों की क्यारियांं होनी चाहिए। इस बगीचे के बीच में एक तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार यह बहुत ही शुभ होता है।
 
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घर के प्रवेशद्वार को लकड़ी से ही बनवाना चाहिए तथा यहांं पर एक पायदान जरूर रखें जो घर में किसी भी तरह की नकारात्मकता को रोकने का चेक पाइंट है। द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह, लक्ष्मी गणेश के चिन्हों वाले स्टिकर या अपने धर्म के शुभ संकेतों को लगाएंं।
 
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ड्राइंग रूम में फर्नीचर लकड़ी का ही होना अच्छा माना जाता है। यह भी ध्यान रहे कि फर्नीचरों के कोने तीखे तथा नुकीले न होकर के गोल या चिकने होने चाहिए। तीखे कोने नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं। यहांं पर कुछ पौधों से सजावट करनी चाहिए। हिंसा की प्रतीक मूर्तियाँ या चित्र न लगाकर सौम्य सुंदर तस्वीरों या मूर्तियों से सजावट करें।
 
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पूजा स्थल ऐसा बनाना चाहिए कि पूजा के लिए बैठने वाले का मुंंह पूर्व दिशा में हो। पूजाघर में हमेशा हल्के रंगों का प्रयोग करना चाहिए। यहांं लाल रंग के बल्बों की सजावट न करें। पूजाघर में पूर्वजों की तस्वीरें न रखें।

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बेडरूम का फर्नीचर भी जहांं तक संभव हो सके लकड़ी का ही हो। यहांं लोहे का उपयोग करना ठीक नहीं है। यहांं  सफेद, क्रीम, आइवरी जैसे रंगों का दीवारों पर प्रयोग किया जाना चाहिए। यहांं पर प्रेम के प्रतीक चिन्हों का प्रयोग करना चाहिए जैसे लव बर्ड्‌स आदि। रंगीन फूलों की तस्वीरें भी लगा सकते हैं।

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बच्चों के कमरे का रंग नीला बैंगनी या हरा होना चाहिए। टेबल इस तरह से लगी होनी चाहिए कि पढ़ने वाले का मुंंह पूर्व या उत्तर में रहे तथा पीठ की ओर दीवार होनी चाहिए। इस कमरे में विद्या का वास होता है अतः बच्चों को जूते-चप्पल बाहर रखने की सलाह दें।


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