बैन की वजह से एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए साल 2018 में ग्रीन पटाखों का कांसेप्ट लाया गया था, जानें ये क्या है और क्या इनसे प्रदूषण नहीं होता है?
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ग्रीन पटाखों में एलुमिनियम, बेरियम, पोटेशियम नाइट्रेट और कार्बन जैसे खतरनाक केमिकल नहीं होते हैं।
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ग्रीन पटाखों को बनाने में फ्लावर पॉट्स, पेंसिल, स्पार्कल्स और चक्कर का इस्तेमाल किया जाता है।
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ग्रीन पटाखे न सिर्फ आकार में छोटे होते हैं, बल्कि इन्हें बनाने में रॉ मैटेरियल का भी कम इस्तेमाल होता है।
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ग्रीन पटाखों की आवाज करीब 110 डेसिबल, जबकि सामान्य पटाखों की आवाज 160 डेसीबल होती है।
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ग्रीन पटाखों में सामान्य पटाखों की अपेक्षा 30% कम पोल्यूटेंट होते हैं।
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हालांकि ग्रीन पटाखे पूरी तरह इको-फ्रेंडली नहीं कहे जा सकते और इन्हें जलाने से भी प्रदूषण फैलता है।
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स्ट्रीट वेंडर और बिना लाइसेंसी दुकानों वाले ग्रीन पटाखे प्रदूषण फैला सकते हैं। इसलिए लाइसेंस वाली दुकानों से ही खरीदें।
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इसके अलावा ग्रीन पटाखे चलाते वक्त भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।