बृज में 40 दिनों तक कैसे मनता है फाग उत्सव

बृज की होली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है। आइए जानते हैं बृज की होली का उत्सव 40 दिनों तक क्यों और कैसे चलता है...

AI/socialmedia

बृज में होली की शुरुआत वसंत पंचमी से ही हो जाती है, जो 40 दिनों तक चलती है, जहां होली का डंडा गड़ने के बाद से उत्सव शुरू हो जाता है।

बृज की होली मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव जैसे स्थानों पर धूमधाम से मनाई जाती है।

हर गली, हर मंदिर और हर चौपाल पर रंगों की बौछार, फूलों की होली और फाग के गीत गूंजते हैं।

चलिए आपको बताते हैं बृज की होली के 40 दिनों के भव्य उत्सव के बारे में कुछ खास बातें...

सबसे पहले बरसाने से होली का आमंत्रण गोकुल पहुंचाया जाता है। मान्यता है कि यह परंपरा श्रीकृष्ण के समय से चली आ रही है।

बरसाना की लट्ठमार होली में गोपियां लाठियों से गोपालों को दौड़ाती हैं और वे ढाल से अपनी रक्षा करते हैं।

बरसाने की रंगों वाली होली से पहले राधा रानी मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली और लड्डू होली भी खेली जाती है।

बृज की होली में पारंपरिक गीतों के साथ कृष्ण की लीलाओं का मंचन होता है।

मान्यता है कि श्री कृष्णा अक्सर अपनी माता से अक्सर अपने श्याम वर्ण और राधा जी के गौर वर्ण का कारण पूछती थी।

तब माता उन्हें होली पर श्री राधा रानी को अलग-अलग रंगों को उनके चेहरे पर लगाने के लिए बोलतीं।

क्या आपने कभी बृज की होली देखी है? अगर नहीं, तो यह अनोखा उत्सव आपकी बकेट लिस्ट में जरूर होना चाहिए।

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