नागपुर के संचेती ब्रदर्स को कोल ब्लॉक आबंटित करने के मामले में छत्तीसगढ़ भाजपा की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है। पूर्व सांसद व वरिष्ठ भाजपा नेत्री करुणा शुक्ला के बाद भाजपा सांसद रमेश बैस ने भी अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस मामले में यहाँ तक कह दिया कि यदि आबंटन का आधार भाजपा के राष्ट्रीय नेता का करीबी होना है, तो वे भी सांसद हैं और उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए। भाजपा सांसद ने मीडिया से चर्चा के दौरान सीएजी रिपोर्ट को विश्वसनीय करार देते हुए मामले में की जा रही टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने सीएजी रिपोर्ट पर अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे बयान पर भी सवाल उठाए हैं। श्री बैस ने कहा कि संचेती ग्रुप का प्रदेश में न तो कोई उद्योग स्थापित है और न ही कोई प्रस्तावित, लिहाजा कोल ब्लॉक कोई दुकान नहीं है जिसे जो पसंद आए, ले लेगा। इसका आबंटन नियम प्रक्रिया के तहत ही होता है और इसका पालन किया जाना था।
कोयले ने गरमा दी राजनीति
सीएजी की रिपोर्ट में भटगांॅव-2 और भटगांॅव- 2 विस्तार के कोल ब्लॉक आबंटन में 1052 करोड़ के नुकसान के खुलासे के बाद प्रदेश की राजनीति उफान पर है। विपक्षी ही नहीं अब तो रिपोर्ट के लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी आवाज बुलंद कर दी है। सबसे पहले भाजपा की पूर्व सांसद करुणा शुक्ला ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को खरी-खरी सुना दी और कह दिया कि दो-तीन लोग मिलकर सत्ता व संगठन के फैसले ले रहे हैं। अब वरिष्ठ नेता व सांसद श्री बैस मुखर हो गए हैं। पार्टी में पर्चा कांड की आग भी अभी ठंडी नहीं हुई है।
अफसरशाही हावी, कोरग्रुप में होगा घमासान
श्री बैस ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं की बात नहीं सुनने के कारण सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है। कार्यकर्ता निराश होकर कह रहे हैं कि राज्य में अफसरशाही हावी है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। सरकार बनाने के लिए जिन कार्यकर्ताओं ने अपना पसीना बहाया, उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने इस मुद्दे को कोरग्रुप की बैठक में रखने की बात कही है।