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मेघा राजदान के बहाने

एक सवाल प्रगतिशील युवतियों से

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श्रुति अग्रवाल

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कैप्टन मेघा राजदान की आत्महत्या या हत्या की गुत्थी उलझती जा रही है। काफी समय से जारी तफतीश में पुलिस के हाथ कुछ पुख्ता सबूत लगे हैं। ये सबूत इशारा करते हैं कि मेघा को उसके ही पति द्वारा लगातार आत्महत्या के लिए उकसाया जा रहा था। कारण पति की जिंदगी में वो का होना?

इस वो के चलते मेघा राजदान की जिंदगी बेहद भयावह हो गई थी। एक व्यक्ति जिसके लिए बाबुल का आँगन छोड़ा, सहेलियों को छोड़ा, जब उसी ने बेवफाई की तो मेघा जैसी जोशीली युवती यह सह नहीं पाई। युवा, प्रगतिशील, विचारवान मेघा अवसादग्रस्त रहने लगी और अंत में उसने मौत को गले लगा लिया। आज मेघा राजदान के बहाने मैं हर प्रगतिशील लड़की से यह सवाल करना चाहती हूँ कि क्या मेघा ने सही किया?

  हाल ही मे खुलासा हुआ है कि कैप्टन चैतन्य, मेघा को शारीरिक औऱ मानसिक यातना देता था। पुलिस ने कैप्टन चैतन्य पर अपनी पत्नी कैप्टन मेघा राजदान को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने चैतन्य को छह दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।       
एक युवा इंजीनियर जिसमें आत्मविश्वास और देशभक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा था। जो अपने परिजन को कुछ कर दिखाना चाहती थी। यदि वह सिर्फ पैसा, नाम शोहरत चाहती तो अन्य इंजीनियर की तरह किसी कारपोरेट का हिस्सा बन सकती थी लेकिन नहीं, वह देश के लिए कुछ कर दिखाना चाहती थी। हमारे देश में जहाँ आज भी लड़कियों का घर से निकलना अच्छा नहीं समझा जाता।

जहाँ बिटिया के नौकरीशुदा होने के बाद, अब क्या बेटी की कमाई खाओगे? जैसे जुमले सुनने को मिलते हो वहाँ मेघा का फौज में जाना एक बेहद साहसिक निर्णय था। इस निर्णय पर अडिग रहने के लिए उसे अपने घर, समाज में ही कई मोर्चे लड़ने पड़े होंगे और मेघा ने उन्हें बखूबी लड़ा भी होगा। फिर इतनी साहसी लड़की का ऐसा अंत... यह विचार रातभर दिमाग में कौंधता रहा

चलिए एकबारगी यह भी मान लिया जाए की मेघा ने आत्महत्या नहीं की उसकी हत्या की गई है। लेकिन हम यह तो नहीं झुठला सकते कि वह लंबे समय से अपने पति द्वारा दी जा रही शारीरिक औऱ मानसिक प्रताड़ना सह रही थी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक उसका पति उसके सामने ही अपनी प्रेमिका से प्रेमालाप करता था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मेघा के शरीर पर मारपीट के कुछ निशान भी मिले हैं, जो इंगित करते हैं कि कैप्टन चैतन्य उन्हें शारीरिक यंत्रणा भी देते होंगे। मेघा ने इन सब बातों का कड़ाई से प्रतिकार क्यों नहीं किया? एक स्वावलंबी महिला जिसके पास विचारवान दिमाग औऱ हर काम को कुशलता से कर लेने की क्षमता थी वह एक रिश्ते में इतनी बेबस हो गई कि जिंदगी के माने बेमानी लगने लगे।

क्या मेघा को अपने पति से हर रिश्ता खत्म कर जिंदगी की एक नई शुरुआत नहीं करनी चाहिए थी? क्या मेघा जैसी प्रगतिशील महिला भी पति परमेश्वर और अब शादी तो हो गई, क्या किया जा सकता है? जैसी मानसिक रुढ़ियों में बँधी थी।

अपनी व्यक्तिगत जिंदगी में हम मेघा जैसी कई युवा महिलाओं से रूबरू होते हैं जो प्रगतिशील होने का दावा करती हैं। आर्थिक दृष्टि से भी सक्षम और स्वावलंबी भी होती हैं लेकिन उनके दिमाग में भी कहीं न कहीं पुरातन सोच के टैबू जिंदा हैं, कुलबुलाते रहते हैं। जो दिमागी कीड़े का रूप ले उनके अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं। मेघा राजदान के बहाने मैं हर युवती से जो खुद को प्रगतिशील मानती है। जो पूरे समाज से कंधे से कंधा मिलाकर चलने का माद्दा रखती है, से सवाल करना चाहती हूँ कि क्या एक रिश्ता, एक व्यक्ति, एक ख्वाहिश इतनी महत्वपूर्ण हो सकती है कि आप अपनी जिंदगी के मायने खो दें...

महिला कैप्टन ने आत्महत्या की
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